उनकी देसी गांड मरवाने की इच्छा- Desi Sex Kahani

Desi Chudai

मैं कानपुर का रहने वाला हूं और कानपुर में मैं एक कॉलोनी में रहता हूं हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से ही मजबूत थी इसलिए मेरे पिताजी ने इस कॉलोनी में करीब 25 साल पहले घर खरीदा था और उसके बाद हम लोग यहां पर रहते आए।

मैं अपने पिताजी के कपड़ो के कारोबार को आगे बढ़ा रहा हूं और मैं उसे करीब 7 वर्षों से करता आ रहा हूं मेरी दुकान में काम करने वाले काफी लोग हैं। मेरा कपड़ों का शोरूम काफी बड़ा है और मेरे पास काफी समय से लोग आते हैं क्योंकि वह सब मेरे पिताजी के कस्टमर थे अब वह मेरे पास ही कपड़े लेने के लिए आया करते हैं।

मेरी पत्नी का नेचर भी बहुत अच्छा है और मेरी शादी को करीब 5 वर्ष हो चुके हैं मेरा शादीशुदा जीवन भी बहुत अच्छा चल रहा है। एक दिन मुझे अपने मौसी के लड़के की शादी में जाना था तो उस दिन मैं अपने मम्मी पापा और पत्नी को भी साथ ले गया घर में मैं ही एकलौता हूं इसलिए सारी जिम्मेदारी मैं ही संभालता हूं।

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कहीं भी कोई रिश्तेदारी में प्रोग्राम या फंक्शन होता है तो मुझे ही वहां जाना पड़ता है मै अपनी मौसी के लड़के की शादी में गया तो मेरे साथ मेरा पूरा परिवार था उस दिन हम लोगों ने उसकी शादी को काफी इंजॉय किया। मैंने जमकर डांस भी किया क्योंकि मुझे काफी कम मौका मिलता है जब मैं कहीं बाहर होता हूं तो ही मैं डांस किया करता हूं।

मेरी मौसी भी कानपुर में ही रहती हैं और मेरी मम्मी का मायका भी कानपुर में ही है मेरे नाना जी बहुत बड़े वकील हैं और मेरे मामा भी वकील ही है। हम लोगों ने उस दिन शादी का बड़ा अच्छे से इंजॉय किया हम लोग घर देर रात में पहुंचे जब मैं घर पर पहुंचा तो मैंने देखा बाहर बंटी भैया घूम रहे थे मैंने सोचा यह इतनी रात को कहां घूम रहे होंगे।

मैं जैसे ही अपने बालकोनी में आया तो मैंने देखा वह इधर उधर टहल रहे थे लेकिन रात में मेरा उन्हें आवाज देना ठीक नहीं था इसलिए मैंने उन्हें कुछ नहीं कहा। बंटी भैया हमारे बगल में ही रहते हैं और उनका ज्वैलरी का काम है लेकिन उनके अंदर एक बहुत ही बुरी आदत है वह बातों को बहुत बढ़ा चढ़ाकर बोलते हैं।

उनकी बातों से सामने वाला भी समझ जाता है कि वह काफी ज्यादा बातों को बढ़ा चढ़ाकर बोल रहे हैं लेकिन उनका दिल साफ है और वह बहुत अच्छे इंसान हैं परंतु उनके अंदर यह बहुत बड़ी कमी है। हमारे कॉलोनी में जितने भी लोग हैं वह सब उनसे बात करना पसंद नहीं करते लेकिन वह हमारे पड़ोस में ही रहते हैं तो इसलिए वह मुझसे काफी बातें किया करते हैं।

जब भी मुझे वह मिलते हैं तो मुझे वह कहते हैं कि तुम तो मिलते ही नहीं हो, वैसे तो मैं भी उनसे बचने की कोशिश करता हूं लेकिन कभी कबार उनसे मेरी मुलाकात हो ही जाती है। उसके अगले दिन ही मुझे बंटी भैया मिल गये मुझे जब बंटी भैया मिले तो मैंने उनसे कहा अरे भैया आप कैसे हैं वह मुझे कहने लगे मैं तो ठीक हूं तुम सुनाओ तुम्हारा काम कैसा चल रहा है।

मैंने उन्हें कहा काम तो अच्छा चल रहा है वह मुझसे पूछने लगे लेकिन आजकल तुम दिखाई ही नहीं देते हो मैंने उनसे कहा मैं तो यही हूं लेकिन आप शायद अपने काम पर देरी से जाते होंगे इसीलिए आप मुझे नहीं देख पाते हो। वह मुझे कहने लगे हां तुम बिल्कुल सही कह रहे हो क्योंकि मैं थोड़ा लेट ही निकलता हूं मैंने उन्हें कहा मैं तो सुबह ही घर से निकल जाया करता हूं।

वह मुझसे कहने लगे और अंकल आंटी सब लोग अच्छे हैं मैंने उन्हें कहा हां मम्मी पापा तो अच्छे हैं आप सुनाइए आपकी फैमिली में सब लोग ठीक हैं वह कहने लगे हां सब लोग अच्छे हैं तुम्हारी भाभी अभी कुछ दिनों पहले ही दुबई होकर आई थी।

मैंने उनसे कहा लेकिन भाभी क्या अकेली दुबई गई थी वह कहने लगे हां वह तो जाती रहती है मैंने भैया से कहा भैया आप भी कहां की बातें कर रहे हैं भला भाभी कैसे अकेले जा सकती है आप भी तो उनके साथ गए होंगे।

वह मुझे कहने लगे नहीं तुम्हारी भाभी अकेले गई थी और वह किसी काम के सिलसिले में गई थी मैंने उनसे पूछा लेकिन भाभी कौन सा काम कर रही हैं।

वह कहने लगे तुम्हारी भाभी ने कोई कोर्स करने की सोची है और उसके बाद वह अपना ही कुछ काम शुरू करना चाहती हैं और मैंने भी उसे मना नहीं किया। बंटी भैया की बातों पर तो मुझे कभी यकीन होता ही नहीं था मैंने उनसे कहा चलिए भैया यह तो बड़ी खुशी की बात है और आप सुनाइए आपका काम कैसा चल रहा है।

वह मुझे कहने लगे मेरा काम तो अच्छा चल रहा है और अब मैं एक और दुकान खरीदने वाला हूं मैं मन ही मन सोचने लगा कि बंटी भैया कब से और कितने सालों से मुझसे यही बात कर रहे हैं लेकिन आज तक उन्होंने कभी दूसरी दुकान खरीदी ही नहीं है।

अब उनकी आदत ही ऐसी बन चुकी है तो मुझे उनकी बातों में हां में हां मिलाना पड़ता है मैंने कहा ठीक है भैया अभी मैं चलता हूं वह कहने लगे अरे तुम बड़ी जल्दी जा रहे हो तुम तो मिलते ही नहीं हो। मैंने कहा भैया मैं आपसे कभी और मुलाकात करूंगा अभी मुझे जाना है वह कहने लगे चलो ठीक है तुम मुझसे कभी और मिलना और फिर मैं वहां से अपनी दुकान में चला गया।

काफी दिनों बाद मेरी दुकान में बंटी भैया की पत्नी आशा भाभी आई मैंने उन्हें देखा तो मैंने उनसे पूछा अरे भाभी आप कैसी हैं तो वह कहने लगी मैं तो ठीक हूं आप बताइए। मैंने उनसे पूछा आपको क्या लेना है तो वह कहने लगे आप मुझे सूट दिखा दीजिए मैंने अपनी दुकान में काम करने वाले लड़के से कहा भाभी को एक बढ़िया सा सूट दिखा देना।

मैंने उन्हें सूट दिखाया लेकिन उन्हें कुछ पसंद ही नहीं आ रहा था काफी देर बाद उन्हें एक सूट पसंद आया तो उन्होंने उसे ले लिया। वह मुझसे कहने लगे कितने रुपए देने हैं मैंने उन्हें कहा आप देख लीजिए मैंने उन्हें बताया कि आप मुझे इतने रुपए दे दीजिए। उन्होंने मुझे पैसे दिए मैंने उनसे पूछा मैंने सुना है की आप आजकल दुबई गई हुई थी।

वह मेरी तरफ देखने लगी और मुझसे कहने लगी आपको यह बात कहां से मालूम पडी मैंने उन्हें कहा अरे भाभी बस मुझे मालूम पड़ गया था कि आप दुबई गई हुई हैं सुना है कि आप कोई अपना ही काम शुरू करने वाली हैं। वह मुझे कहने लगी आपने यह तो सही सुना कि मैं दुबई गई हुई थी लेकिन मैं अपना कोई काम शुरू नहीं कर रही हूं आपसे किसने कह दिया।

मैंने आशा भाभी से पूछा तो आप दुबई किस लिए गई थी वह कहने लगी मैं दरअसल दुबई अपनी बहन के पास गयी हुई थी और वहां मैं 10 दिन रही लेकिन आपको यह बात किसने कही कि मैंने अपना ही कोई काम शुरू करने की सोची है।

मैंने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया और कहा बस ऐसे ही मैंने सुना था वह कहने लगी नहीं आपने गलत सुना है ऐसा कुछ भी नहीं है और फिर आशा भाभी मेरी दुकान से चली गई। मैं मन ही मन सोचने लगा कि बंटी भैया भी पता नहीं कहां की बात को कहां ले जाते हैं और उनकी इसी आदत की वजह से हमारी कॉलोनी में उनसे कोई बात ही नहीं करता।

उनकी बातों पर यकीन करना तो मुश्किल होता है हालांकि उनके पापा बहुत अच्छे हैं और उनका नेचर बहुत ही अच्छा है लेकिन बंटी भैया की वजह से उन्हें भी कई बार शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। बंटी भैया की बातें तो निराली थी लेकिन उनकी पत्नी आशा भाभी का मुझे मालूम पड़ा कि उनका तो किसी व्यक्ति के साथ अफेयर चल रहा है मैं सुनकर दंग रह गया।

मैंने एक दिन उन्हें एक होटल में जाते हुए देखा मेरी उनके प्रति पूरी तरीके से सोच बदल चुकी थी। एक दिन वह मेरी दुकान में शॉपिंग के लिए आई हुई थी मैंने उनसे कहा अरे भाभी आजकल तो आप बड़े गुल खिला रहे हो।

वह मुझे कहने लगी यह आप क्या कह रहे हैं लेकिन मुझे उनकी असलियत पता थी तो वह कहने लगी भाई साहब आप भी क्या बात कर रहे हैं आप घर पर आइए ना मैं आपके लिए बिरयानी बनाऊंगी। मैने उन्हे कहा ठीक है मैं बिरयानी खाने के लिए आता हूं मैं अगले दिन उनके घर पर चला गया मुझे बड़ा अच्छा मौका मिला क्योंकि घर पर कोई भी नहीं था।

मैंने जब उनकी जांघ पर हाथ रखा तो मुझे लगा तो मुझे अच्छा लगा मैंने उनकी गांड को दबाना शुरू किया। मैंने जब उनके रसीले होठों को अपने होठों से चूसना शुरू किया तो उन्हें बड़ा मजा आने लगा और वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई।

मैंने भी बड़ी तेजी से उनके स्तनों को चूसना शुरू किया और उनकी गांड को दबाना शुरू किया मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और कुछ देर तक मैंने उनकी चूत को भी चाटा।

मैंने जैसे ही अपने लंड को उनकी चूत पर सटाया तो वह कहने लगी अब आप इंतजार किस बात का कर रहे हैं। मैंने भी जोरदार झटके से उनकी चूत के अंदर अपने लंड घुसा दिया और बड़ी तेजी से मैं धक्के देना लगा।

मेरे धक्के इतने तेज होते की उनका पूरा शरीर हिल जाता। उनकी चूत से गर्मी निकालने लगी मैंने उन्हें कहा आपक चूत बहुत गर्म हो चुकी है वह भी मेरे लंड की गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और जैसे ही मेरा वीर्य पतन हो गया तो मैंने अपने लंड को तुरंत बाहर निकाल लिया और उनकी योनि से अभी मेरा वीर्य टपक रहा था लेकिन उनकी इच्छा नहीं भरी थी और उन्होंने मेरे लंड को अपनी गांड पर सटा दिया।

मैंने भी धक्का देते हुए उनकी बड़ी गांड के अंदर अपने लंड घुसा दिया और उन्हें तेजी से धक्के मारने लगा। मैंने काफी तेजी से उन्हे धक्के दिए उनकी गांड मरवाने की इच्छा को मैने पूरा कर दिया था, वह बहुत खुश हो गई थी और मैं भी बहुत खुश था।

उसके बाद यह सिलसिला काफी बार चलता रहा बंटी भैया तो इन सब बातों से बेखबर थे उन्हें तो दुनिया की खबर थी लेकिन अपने घर की उन्हें कोई खबर ही नहीं थी उनकी पत्नी कहां गुल खिला रही हैं उन्हें तो कुछ मालूम ही नहीं था।

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