मिल गई मुझे एक घरेलू चूत- Hindi Sex Stories

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भाइयों और बहनों, सबसे पहले मैं अपने बारे में एक बात आप लोगों को बता देता हूँ। मुझे रात को अपनी पत्नी शिल्पा की चूत की ठुकाई किए बग़ैर नींद नहीं आती है।

शादी की पहली रात जब मैंने शिल्पा का सील तोड़ा था, तब उसकी चूत हलकी गुलाबी रंग की थी। ५ महीने बाद, अब उसकी चूत का रंग गहरा भूरा हो गया है। इतना ही नहीं, शिल्पा अब पेट से है।

मेरे माँ-पिताजी गाँव में रहते हैं और माँ की तबीयत अक्सर ख़राब रहने के कारण पिताजी उसका ख़्याल रखते हैं। ऊपर से शिल्पा की ऐसी हालत में उसकी चुदाई न करने की सख्त सलाह मुझे डॉक्टर साहब ने दी थी। उस बात को पूरे २० दिन हो गए थे।

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मैं शिल्पा की चूत भी न सूँघु, इसलिए शिल्पा की माँ यानी कि मेरी सासू माँ मेरे घर शिल्पा की देखभाल करने आई हैं। पिछले कुछ दिनों से मेरी सासू माँ रात को शिल्पा के साथ ही सो रही थी। मैं दिन भर अपनी दूकान चलाकर घर लौटता था।

रात का खाना खाने के बाद, ज़मीन पर मोटी रजाई बिछाकर अपने अरमानों पर क़ाबू पाकर सोता था। मेरी सासू माँ शिल्पा के साथ बिस्तर पर खर्राटे लेकर सोती थी।

काफ़ी दिनों से शिल्पा की चूत मारे बिना मेरा लौड़ा ज़्यादातर कड़क ही रहता था और तो और रात को चुदाई नहीं कर पाने की वज़ह से नींद भी जल्दी नहीं आ रही थी। उस रात को भी कुछ ऐसा ही हुआ था।

मैं बेचैन होकर करवटें बदलकर सोने की कोशिश कर रहा था। तभी मेरी नज़र बिस्तर पर लेटी मेरी सासू माँ पर पड़ी। सासू माँ अपना पिछवाड़ा मेरी तरफ़ करके सोई थी। साड़ी से उभरी हुई उसकी मोटी गाँड़ का आकार देखकर मेरा मन विचलित होने लगा था।

मैंने अपने गंदे विचारों को दिमाग से निकालने की बहुत कोशिश की, लेकिन सासू माँ की गाँड़ और मेरी हवस मुझे मजबूर कर रही थी। मैं बिस्तर के पास चला गया और अपना हाथ सासू माँ के पैर पर रख दिया।

उसकी उम्र कुछ ५१ के आस-पास है और उस समय तो वह भी किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। मैंने अपना हाथ साड़ी के अंदर घुसाकर उसे ऊपर की ओर ले जाने लगा।

सासू माँ की मोटी जाँघ पर हाथ रखकर मैं दुविधा में पड़ गया था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं अपना हाथ उसकी चूत पर रखु या फिर उसकी गाँड़ पर।

इतने में सासू माँ की नींद खुली और वह मेरी हरक़त को देखकर चौंक उठी। सासू माँ बिस्तर से उठकर कमरे के बाहर चली गई और मुझे भी साथ आने को कहा। बाहर आकर वह मुझसे कहने लगी-

[सासू माँ:] यह तुम क्या कर रहे थे? अपने अरमानों को ज़रा क़ाबू में रखो। मेरे उनको गुज़रे हुए ३ साल हो गए, लेकिन मैंने फ़िर भी अपने आप को रोककर रखा है।

[मैं:] लेकिन अब आपको रोकने की क्या ज़रूरत है? देखो, अब मुझसे और रहा नहीं जाता। या तो आप मेरे साथ बिस्तर गरम करो या फिर मैं किसी रंडी औरत के पास चला जाता हूँ।

सासू माँ कुछ बोलती उससे पहले मैंने उसको अपने बाहों में भरकर जकड़ लिया। उसकी मोटी और लटकती चूचियों को अपनी छाती से दबाकर मैं उसके होंठों को चूसने लगा। साली प्यासी औरत भी मूड में आकर गरम और मस्त हो रही थी।

सासू माँ को मैंने उसकी उभरी हुई गाँड़ से पकड़कर उठा लिया और चारपाई पर लेटा दिया। उसकी साड़ी उठाकर मैं उसकी मोटी जाँघों को चूमने लगा। सासू माँ हलके से सिसकियाँ निकालने लगी थी।

[सासू माँ:] बेटा, यह हम ग़लत कर रहे हैं। मैं तुम्हारे लौड़े से चुदवा नहीं सकती हूँ। अगर मेरी बेटी को पता चलेगा तो वह नाराज़ हो जाएगी। मेरी चूत बहुत नाज़ुक़ है उसे मत उकसाओ।

मैंने सासू माँ की कॉटन की पैंटी को उतार फेंका। मैं सासू माँ की मोटी और छोटे-छोटे झाँट के बालों से भरी चूत को चाटने लगा। शिल्पा की माँ ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी थी।

[सासू माँ:] आह! बेटा, तुमने तो मेरे उनकी याद दिला दी। वह भी मेरी चूत को इसी तरह चाटकर साफ़ किया करते थे।

मैंने सासू माँ के पैर उठाकर उसकी चूत को अच्छी तरह चाटना शुरू किया। उसकी चूत की पँखुड़ियों को फैलाकर मैं अपनी ज़ुबान को चूत के अंदर-बाहर करने लगा था। वह भी साली मज़े से चीख़ने लगी थी।

फिर मैंने सासू माँ का ब्लाउज़ खोल दिया और उसकी लटकती चूचियों को पकड़कर दबाने लगा। सासू माँ के निप्पल को बारी-बारी करके चूसकर मैंने उसे उत्तेजित कर दिया। उसकी साड़ी निकालकर मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया।

मैंने सोचा कि अपना लौड़ा सासू माँ के मुँह में डाल देता हुँ, लेकिन उसकी चूत देखकर मेरा लौड़ा इतना कड़क हो गया था कि मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत के अंदर घुसा दिया।

मैंने सासू माँ के पैरों को अपने कंधों पर रख दिया। अपने लौड़े को धीरे से धक्का मारकर उसकी चूत के अंदर घुसाने के बाद मैंने उसकी ठुकाई करना शुरू किया। धक्के मारते-मारते मैंने ठुकाई की रफ्तार को बढ़ा दिया था। सासू माँ चिल्ला-चिल्लाकर मज़े ले रही थी।

मैं भी उत्साहित होकर उसकी चूचियों को दबाने लगा। थोड़ी देर बाद, मैं सासू माँ के ऊपर लेटकर उसके होंठों को चूसकर उसकी चुदाई करने लगा था। वह बार-बार एक ही बात बोले जा रही थी।

[सासू माँ:] जल्दी-जल्दी करो बेटा। मेरी बेटी ने अगर मुझे तुम्हारे साथ चुदाई करते देख लिया, तो वह मेरी गाँड़ में गरम तेल ड़ाल देगी।

सासू माँ की बातें सुनकर मैं उत्साहित हो रहा था। मैंने उसके गले को पकड़कर सहारा लिया और अपने लौड़े को तेज़ी से उसकी चूत में घुसाना शुरू कर दिया।

कुछ समय बाद, मैंने सासू माँ को मेरे ऊपर उल्टा लेटा दिया और उसकी गाँड़ की छेद को चाटने लगा। सासू माँ मेरे लौड़े को अच्छी तरह से चूस रही थी। उसने अपनी गाँड़ को मेरे चेहरे पर घिसना शुरू कर दिया था।

[सासू माँ:] अच्छे से चाटो मेरी गाँड़ की दरार को। उफ़! बेटा, मेरी बेटी को भी तुमने ऐसे ही चोदा होगा। घुसाओ अपनी ज़ुबान को मेरी गाँड़ की छेद में।

मैंने सासू माँ की गाँड़ की छेद में अपनी ज़ुबान अंदर तक घुसाकर उसे चाटने लगा। साथ ही साथ, मैं अपनी उँगलियों से उसकी चूत को भी रगड़ रहा था। सासू माँ अपने पैरों के बल उछलकर अपनी गाँड़ मेरे चेहरे पर पटक रही थी।

मेरे लौड़े को हिलाते हुए सासू माँ ने अपनी गाँड़ को मेरे चहरे पर रगड़ना शुरू कर दिया था। मैंने उसकी चुत्तड़ों को फ़ैलाया और उसमें थूक मारकर उसे चूसने लगा। सासू माँ उत्तेजना के कारण अपनी गाँड़ झुलाने लगी थी।

कुछ समय बाद, मैंने सासू माँ को घोड़ी बनाकर चारपाई पर लेटा दिया। मैंने अपने लौड़े की नोक को सासू माँ की गाँड़ की छेद पर रखा और गाँड़ की दरार पर रगड़ने लगा। तभी सासू माँ मेरा लौड़ा पकड़कर बोल पड़ी।

[सासू माँ:] नहीं बेटा, मेरी गाँड़ के अंदर मत घुसाना। अब मुझमें वह बात नहीं रही जो मेरी जवानी के दिनों में थी। शिल्पा के पिताजी ने मेरी गाँड़ मार-मारकर छेद को ढ़ीला कर दिया है।

मैंने उसकी चूत पर अपना लौड़ा घिसकर अंदर घुसा दिया और सासू माँ की कमर पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से उसकी चुदाई करने लगा। सासू माँ चिल्लाकर मस्त हो रही थी।

[सासू माँ:] ध्यान से बेटा, जोश में आकर मेरी चूत में अपने लौड़े का माल निकाल मत देना। नहीं तो तुम्हें चुदाई करने ले लिए किसी रंडी औरत के पास ही जाना पड़ेगा।

मैं आगे झुक गया और सासू माँ की चूचियों को पकड़कर उन्हें दबाने लगा। जब उसकी चौड़ी गाँड़ मेरे लौड़े से टकराती थी, तब ‘पच-पच’ करके एक मधहोश कर देने वाली आवाज़ आ रही थी।

मैं चारपाई पर बैठ गया और सासू माँ को मेरे लौड़े पर बिठा दिया। उसको जाँघों से पकड़कर मैंने उसे उठाया और अपने लौड़े पर उछालने लगा। कुछ देर बाद, पैरों के बल बैठकर सासू माँ खुद मेरे लौड़े पर उछलने लगी थी।

कुछ देर बाद, मैं चारपाई पर लेट गया। सासू माँ को मेरे ऊपर चढ़ाकर मैंने उसकी गीली चूत पर अपना लौड़ा घिसना शुरू किया। सासू माँ ने उत्तेजित होकर मेरे लौड़े को पकड़ा और अपनी चूत के अंदर घुसा दिया।

सासू माँ मेरे लौड़े पर अपनी गाँड़ उछाल-उछालकर मुझसे चुदवा रही थी। मैंने उसके हिलते हुए चूचियों को पकड़कर दबाया और सासू माँ को और मस्त कर दिया।

सासू माँ के निप्पल को पकड़कर खींचने पर वह ज़ोर से चीख़ने लगी थी। मैं सासू माँ की चीख़ों से उत्साहित होकर उसे अपने गले से लगा लिया। फिर उसकी गाँड़ को पकड़कर चोदने लगा।

मैं तेज़ी से अपने लौड़े को उसकी चूत में घुसा रहा था। थोड़ी देर रुककर मैंने सासू माँ की गाँड़ की छेद में अपनी उँगली घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा।

अपनी उँगली को गाँड़ की छेद से निकालकर मैंने उसे सासू माँ के मुँह में डाल दिया। सासू माँ ने मेरी उँगली को अच्छे से चाटकर साफ़ किया। फिर मैं उसके मुँह में थूक मारकर सारा पानी पी गया।

मेरे लौड़े का पानी निकलने वाला था, इसलिए मैंने सासू माँ को चारपाई पर लेटाकर उसकी चूचियों पर बैठ गया। मैंने अपने लौड़े को उसके मुँह में भरकर उसका सर पकड़ लिया। सासू माँ मेरे लौड़े को चूसते हुए मेरी गोटियों पर अपनी उँगलियाँ घुमा रही थी।

ऐसे करते-करते, मैंने अपना लौड़े का माल सासु माँ के मुँह के अंदर निकाल दिया। सासु माँ को बाथरूम में ले जाकर मैंने उसकी चूत और गाँड को साबुन लगाकर साफ़ किया। उस रात के बाद, मैं और सासू माँ अलग-अलग पोजीशन में चुदाई करने लगे थे।

शिल्पा के मेरे बच्चे को जन्म देने तक ठुकाई करने के लिए चूत का बंदोबस्त हो गया था।

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