मल्लू आंटी की चंचल चूत- Mallu Aunty Ki Chudai
- By : Admin
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नमस्ते मित्रों। मैंने आप लोगों के लिए एक मसालेदार और कामुक मल्लू भाभी की कहानी पेश की है।
इस कहानी को पढ़कर आप लोग अपना लौड़ा हिलाकर तरो-ताज़ा हो जाएँगे। और यदि आपके पास चूत है, तो आप उसमें कुछ न कुछ घुसाकर तरो-ताज़ा हो जाएँगे।
मैं रोज़ शाम को मैदान में क्रिकेट खेलने जाता हूँ। एक दिन मेरा दोस्त, अपने कॉलेज के दोस्त, आशीष नायर, को हमारे साथ क्रिकेट खेलने लाया था। हम लोगों ने शाम ०७: ३० बजे तक जमकर क्रिकेट खेला।
क्रिकेट खेलने के बाद, रोज़ हम चाय पीने टपरी पर जाते हैं। लेकिन उस दिन, आशिष हमें उसके घर चाय पीलाने लेकर गया था। हम आशीष के घर पहुँचकर सोफे पर बैठे थे। आशीष अपनी माँ को रसोई-घर में ढूँढ़ने चला गया था।
तभी उसकी माँ पड़ोस के घर से निकलकर अपने घर में चली आई। मेरे दोस्त को आशीष की माँ पहचानती थी इसलिए उसने सिर्फ़ मेरे बारे में पूछा। फिर वह हमारे लिए चाय बनाने रसोई-घर में चली गई।
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आशीष और मेरा दोस्त मोबाइल पर चैटिंग कर रहे थे। मेरा ध्यान तो आशीष की माँ पर था। वह औरत तो सेक्सी मल्लू मसाला है। उसे देखकर ही मेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी। जब वह पड़ोस के घर से आ रही थी, तब मैं उसके हिलते चूचियों को ताड़ रहा था।
उससे बात करते समय भी मेरी नज़र उसकी मोटी चूचियों पर थी। जब रसोई-घर से चाय की थाली लेकर मल्लू आंटी बाहर आई, तब मैं दुबारा उसे घूरने लग गया। मेरे दोस्त और आशीष ने चाय का कप टेबल पर रखने से पहले ही उठा लिया था।
मल्लू आंटी मेरे सामने थाली लेकर खड़ी थी। उसने झुककर थाली को टेबल से थोड़ा ऊपर रखते हुए पकड़ रखा था। दुपट्टा न होने के कारण मुझे मल्लू आंटी के गोरे और गोल-मटोल चूचियाँ दिख गए।
उसकी टाइट काली ब्रा में चूची की दरार पर मेरी नज़र टिकी हुई थी। मल्लू आंटी की नज़र मेरी आँखों पर थी, जो उसके भारी स्तन का बारीकी से निरीक्षण कर रहे थे। जब मैंने उससे नज़रे मिलाई तब उसने हसकर आँख मारी और अंदर चली गई।
जब हम लोग चाय पीकर वहाँ से निकलने लगे तब मल्लू आंटी बाहर आई। उसने आशीष को चावल की गोनी बड़े बर्तन में खाली करने को बोला। आशीष ने कहा कि उसमें इतनी ताकत नहीं है और वैसे भी उसे हमारे साथ बाहर जाने में देरी हो रही थी।
मल्लू आंटी ने उसे अपनी भाषा में डाँटना शुरू कर दिया। तब मैंने मल्लू आंटी से कहा कि उनकी मदत मैं कर देता हूँ। मेरे दोस्त ने मुझे काम ख़तम करके मैदान पर मिलने को कहा और वह आशीष के साथ घर से चला गया।
मैं आंटी के साथ रसोई-घर के अंदर चला गया। मैंने चावल की गोनी को आसानी से बड़े बर्तन में खाली कर दिया। मल्लू आंटी मुझे शाबाशी देते हुए मेरे कधों पर अपना हाथ घुमाने लगी।
उसकी शरीर की गर्मी को मैं महसूस करके उत्तेजित होने लगा था। मेरी नज़र दुबारा उसकी चूचियों पर पड़ गई। उसने मुझे अपनी चूचियों को ताड़ते देख, मेरे कंधे दबाने लगी।
[मैं:] और भी कुछ करना है आंटी?
[मल्लू आंटी:] अभी तुम पूछ ही रहे हो तो एक और काम भी कर दो। मुझे अलमारी के ऊपर से कुछ सामान निकालने है।
मैं मल्लू आंटी से साथ उसके बेडरूम में चला गया। उसने मुझे अलमारी की तरफ़ इशारा करके उसके ऊपर से ४ बक्से निकालने को कहा। मैंने एक बक्से के पास छिपकली को देखा था। उसे देखकर मेरे दिमाग में एक विचार आया।
मैंने मल्लू आंटी से कहा कि पहले वह चढ़कर देख ले कि वह जिस चीज़ को ढूँढ रही थी, वह आख़िर किस बक्से के अंदर है। मल्लू आंटी टेबल पर चढ़कर खड़ी हो गई। मैं ठीक उसकी मोटी उभरी हुई गाँड़ के निचे अपना मुँह रखकर उसे देखने लगा।
वह एक-एक करके बक्से को खोलकर उसके अंदर देखने लगी। जैसे ही उसने आखिरी बक्सा खोला, छिपकली तेज़ी से निकलकर वहाँ से चली गई। मल्लू आंटी घबराते हुई चीख़ी और मुझपर गिर पड़ी।
मुझपर गिरते समय मैंने अपने मुँह को उसकी गाँड़ पर चिपका दिया और उसकी चूचियाँ पकड़ ली। मल्लू आंटी के पैर ज़मीन पर पड़ते ही उसने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया।
मैंने आव देखा न ताव, सीधे मल्लू आंटी पर लपक पड़ा और उसका साथ देने लगा। उसकी कमर को कसके पकड़कर उसके होठों की चुम्मियाँ लेने लगा। चुम्मियाँ लेते वक़्त, मैंने मल्लू आंटी की गाँड़ को पकड़कर उसे दबाना शुरू किया।
मैंने मल्लू आंटी की लेग्गिंग के अंदर अपने हाथों को घुसा दिया और उसके चूतड़ों को दबाने लगा। उसके मुँह से सिसकियाँ लेते समय निकलती गरम साँसे को सूंघकर मैं उसे और ज़ोर से पकड़कर अपनी तरफ़ दबाने लगा था।
गर्मी की वजह से उसकी गाँड़ पसीने से चिकनी हो चुकी थी। मैंने अपनी उँगली को मल्लू आंटी की गाँड़ की छेद में घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा। उसने अपनी सलवार उतार दी और मुझे फिरसे कसकर पकड़ लिया।
मैंने अपना एक हाथ मल्लू आंटी की लेग्गिंग से निकालकर उसकी चूची दबाने लगा। उसने अपना टाइट ब्रा निकालकर अपने चूचियों को आज़ाद कर दिया। उसकी मोटी लटकती चूचियों को देखकर मेरा लौड़ा उठ गया।
मल्लू भाभी ने मेरी पैंट के अंदर हाथ ड़ालकर मेरे लौड़े को पकड़ लिया। उसे सहलाते, हिलाते हुए एकदम कड़क कर दिया। मेरी गोटियों को सहलाते हुए उनकी मालिश की। अपने दोनों हाथों से मैं उनकी चूचियाँ दबाकर मल्लू आंटी को गरम कर रहा था।
मैंने उनकी निप्पल को बारी-बारी करके चूसना शुरू किया। उत्साह में आकर उसने मेरी गोटियाँ दबा दी। दर्द के मारे मेरी चीख़ निकल गयी थी।
मैं फर्श पर बैठ गया और मल्लू आंटी मेरी पैंट उतारकर मेरे सामने बैठ गई। मेरी गोटियों को अपने मुँह में भरकर उन्हें ज़ुबान से चाटने लगी।
इस तरह बैठकर मैं उसकी गाँड़ तक पहुँच नहीं पा रहा था। मेरा उसकी मोटी गाँड़ से मन नहीं भरा था इसलिए उसकी गोरी गाँड़ को अपने मुँह के ऊपर टिकाकर, मैंने मल्लू आंटी को मेरे ऊपर चढ़ाकर बिठा दिया।
मैं उसकी चूतड़ों को फैलाकर उसकी गाँड़ की छेद में अपनी ज़ुबान घुसाकर उसे अंदर-बाहर करने लगा। मल्लू आंटी मेरे लौड़े को अच्छी तरह से चूस रही थी। उसकी चूत को मैं अपनी उँगली से फैलाकर रगड़ रहा था।
मल्लू आंटी जोश में आकर चीख़ने लगी और साथ में अपनी गाँड़ को मेरे मुँह पर पटकने लगी। थोड़ी देर बाद, मल्लू आंटी की चूत से पानी छूटने लगा था। मैंने उसे ज़मीन पर लेटा दिया और उसके पैरों को अपने कंधो पर रख दिया।
अपने लौड़े की नोक को मल्लू आंटी के चूत की दरार पर रखकर रगड़ने लगा। फिर धीरे से अपने लौड़े को उसकी गरम चूत में घुसा दिया। धीरे-धीरे धक्के मारकर मैं मल्लू आंटी के ऊपर चढ़ गया।
उसके मोटी चूचियों को पकड़कर मैं उन्हें दबाने लगा। मल्लू आंटी मेरी गाँड़ को पकड़कर उसे दबा रही थी। धीरे से चुदाई करते समय हम दोनों सिसकियाँ लेने लगे थे।
मैंने मल्लू आंटी के मंगलसूत्र को अपने हाथ में पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूत में धक्के मारने लगा। मंगलसूत्र के साथ उसको चोदने में मुझे मज़ा आ रहा था।
मैंने मंगलसूत्र की माला को मल्लू आंटी के मुँह में डाल दिया और उसपर चढ़कर उसके मुँह को चाटने लगा। अपने हाथों से उसकी टाँगे पकड़कर मैंने ज़ोर-ज़ोर से चोदना जारी रखा था।
कुछ देर बाद, मल्लू आंटी ने मंगलसूत्र की माला को थूक दिया और मेरे मुँह को पकड़कर चाटने लगी। ज़ोर की चुदाई के मज़े लेते हुए हम दोनों एक दूसरे के होठों को चूसने लगे।
थोड़ी देर बाद, मैं फर्श पर लेट गया और मल्लू आंटी को मेरे ऊपर चढ़ा लिया। उसने मेरे लौड़े को पकड़कर अपनी चूत के अंदर घुसा दिया और धीरे से उसपर बैठ गई। २-३ बार धीरे से उठकर-बैठकर मेरे लौड़े को अपनी चूत के अंदर पूरा घुसा दिया।
फिर मल्लू आंटी मेरे लौड़े पर उछलने लगी थी। मैंने उसकी चूचियों को पकड़कर उन्हें दबाने लगा। मल्लू आंटी अपनी गाँड़ उठा-उठाकर मेरे लौड़े पर उछल रही थी। उसकी चीख़ों की आवाज़ सुनकर मुझसे और रहा नहीं जा रहा था।
मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचकर गले से लगा लिया और उसकी गाँड़ को पकड़कर, ज़ोर-ज़ोर से अपना लौड़ा उसकी चूत के अंदर घुसाने लगा। मल्लू आंटी की चीखों को रोकने के लिए मैंने अपनी ज़ुबान उसके मुँह के अंदर घुसा दिया था।
उसकी गाँड़ की छेद में अपनी उँगली घुसाकर उसे अपने लौड़े पर पटकता रहा। कुछ देर तक ऐसे ही ज़ोर-ज़ोर से चुदाई करने के बाद मेरे लौड़े का माल निकलने वाला था। मैंने मल्लू आंटी को अपने ऊपर से हटाकर उसे घोड़ी बना दिया।
मल्लू आंटी की चूतड़ों को फैलाकर मैं उसकी गाँड़ की दरार को चाटने लगा। पसीने से भीगी हुई उसकी गाँड़ की महक तो मनमोहक थी। मैंने अपनी दो उँगलियों को मल्लू आंटी की गांड की छेद के अंदर घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा।
मैंने उसकी गाँड़ की छेद को खींचकर चौड़ा किया और उसके अंदर थूक मारी। मुझे अपना लौड़ा उसकी गाँड़ में घुसाना था लेकिन मल्लू आंटी विरोध करने लगी। इसलिए मैंने अपने लौड़े को उसकी मोटी चूतड़ों के बिच घुसाकर हिलाने लगा।
जैसे ही मेरा लौड़े का पानी छूटने आया, मैंने मल्लू आंटी की गाँड़ की छेद के पास अपने लौड़े की नोक को रख दिया। मेरे लौड़े से निकला गरम चिपचिपा पानी जाकर मल्लू आंटी की गाँड़ की छेद के ऊपर गिरा।
मैंने अपनी उँगली से लौड़े के पानी को मल्लू आंटी की गाँड़ की छेद के अंदर घुसेड़ दिया। इस तरह मैंने अपने दोस्त के दोस्त की मल्लू माँ की चुदाई की।
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