होली में रंग लगाने के बहाने से चाची की सहेलियों की करदी चुदाई भाग – 1
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सभी पाठको को मेरा प्रणाम। मैं रोहित एक बार फिर हाज़िर हूं चूत चुदाई के घमासान में। मैं 26 साल का जवान लौंडा हूं।मेरा लन्ड 7 इंच लम्बा है जो किसी भी चूत को चोदकर उसकी प्यास बुझाने में सक्षम है।जब भी मेरा लन्ड किसी चूत को चोदता है तो उसको बुरी तरह से पानी पानी कर देता है।जिससे चूत को पूर्ण संतुष्टि मिलती है। अब तक मै कई मक्खन जैसी माल को मेरे लन्ड के नीचे ला चुका हूं।
मेरे 12 वी क्लास के बोर्ड एग्जाम चल रहे थे।उस समय मै 18 साल का था।तभी मुझे चुदाई की भयंकर तलब लगी थी।फिर मैंने मेरे लन्ड की आग को शांत करने के लिए मैडम को मेरे लन्ड के नीचे ला दिया था।उसके बाद मुझे मेरी चाची को चोदने का भरपूर मौका मिल रहा था। तभी होली का त्योहार आ गया।
सुबह होते ही सबने रंग गुलाल लगाना शुरू कर दिया।पूरी कॉलोनी में शोर मच गया।सभी रंग लगाने में मस्त हो रहे थे। मैं चुपचाप बैठकर पढ़ाई कर रहा था। अब मैं चाचा के बाहर जाने का इंतजार करने लगा।थोड़ी देर बाद जैसे ही चाचा घर से बाहर निकले तो मैं चाची पर टूट पड़ा।मैंने चाची को पीछे से बुरी तरह से जकड़ लिया। मैंने उनके चेहरे को गुलाल से अच्छी तरह से रगड़ दिया।फिर चाची के कुर्ते में हाथ डालकर उनके बड़े बड़े बूब्स को गुलाल से अच्छी तरह से मसल डाला।फिर मैंने गुलाल का दूसरा पैकेट पूरा का पूरा उनके बूब्स में रगड़ दिया। मुझे चाची के बूब्स पर गुलाल लगाने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
फिर मैंने फटाफट चाची के सलवार में हाथ डालकर चाची की मखमली चूत को भी गुलाल से सराबोर कर दिया। अब मैं चाची की चूत को सहलाते हुए दूसरे हाथ से चाची के बूब्स को दबाने लगा।
चाची– ज्यादा शैतानी मत कर। अब छोड़ मुझे।तेरे चाचा आ जाएंगे।
मैं– नहीं आएंगे आप चिंता मत करो।आज तो आपको अच्छी तरह से रगडूंगा।
चाची– जल्दी से कर लेे, जो करना है।
तभी मैंने चाची को छोड़ा और फटाफट से रंग घोल लिया।तभी चाची मुझसे बचने के लिए बेडरूम में घुस गई और अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया।
मैं– चाची दरवाजा खोल ना।
चाची– नहीं,मुझे रंग नहीं लगवाना।
मैं– अरे चाची बस थोड़ा सा रंग लगाऊंगा। प्लीज आप बाहर तो आइए।
चाची– नहीं मै नहीं आऊंगी।
चाची बेडरूम से बाहर आने के लिए तैयार नहीं हो रही थी और मैं चाची को रंग में रगड़ने के लिए तड़प रहा था।तभी बच्चे थोड़ी देर के लिए वापस आ गए। अब मैंने मेन गेट वापस बंद कर दिया। अब वो चाची को बुलाने लगे। चाची को मजबुर होकर बेडरूम से बाहर आना पड़ा। जैसे ही चाची ने गेट खोला तो मैंने चाची को दबोच लिया और उन्हें बेडरूम में ले जाकर बेड पर पटक दिया। अब मैंने फटाफट अंदर से गेट बंद कर लिया।
चाची– रोहित प्लीज यार रंग मत लगा।ये पक्का रंग है ,ये नहाने पर भी नहीं छूटेगा।
मैं– आप टेंशन मत करो। मैं सब छुड़ा दूंगा।
चाची अब भी मुझसे बचने की कोशिश कर रही थी लेकिन अब उनके पास बचने का कोई चांस नहीं था। अब मैंने एक ही झटके में चाची के पजामे और पैंटी को खोल फेंका और फिर तुंरत ही चाची की टांगो,जांघो और चूत को पक्के हरे रंग में रंग दिया।चाची गुस्सा होकर ना नू करने लगी।लेकिन मैं कहां रुकने वाला था।कुछ ही पलों में मैंने चाची के कुर्ते को भी उतार फेंका। अब चाची बेडरूम में पूरी नंगी हो चुकी थी। अब मैंने चाची के गुलाल में रंगे हुए बूब्स को पक्के हरे रंग में रंग डाला।चाची गुस्सा होकर लाल पीली हो रही थी। अब मैंने चाची को ऊपर से लेकर नीचे तक पूरी हरे रंग में रगड़ दिया।फिर चाची को पलटा और उनकी गौरी चिकनी पीठ ,मस्त शानदार जानदार गांड़ को भी अच्छी तरह से रंग डाला। अब चाची का गौरा चिकना जिस्म हरा भरा हो चुका था। तभी मैंने चाची को फिर से पलटकर सीधा कर लिया। अब मैंने फटाफट मेरे कपड़े निकाल फेंके और पूरा नंगा हो गया। अब मैंने मेरे लन्ड को रंग में रंगा और फटाफट चाची की चूत की पिच पर लंड रखकर चाची का विकेट उड़ा दिया। अब मेरा लन्ड चाची की चूत में धुंआधार बल्लेबाजी करने लगा।चाची धीरे धीरे धीरे धीरे सिसकारियां लेते हुए आहे भरने लगी।उनके चेहरे पर चूत का दर्द साफ साफ झलकने लगा।
चाची गुस्से में और भी भयानक हरी भरी होती जा रही थी। मैं गांड़ हिला हिलाकर चाची को मस्ती में पेले जा रहा था। होली के रंग में मुझे चाची को पेलने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।मेरा लन्ड लगातार चाची की चूत की बखिया उधेड़ रहा था। चाची गुस्से में होकर चुदाई करवा रही थी।फिर थोड़ी देर बाद चाची झड़ गई। अब बेडरूम में खाचखच फ्फच फ्फच फ्फाछ फ्फच की आवाजे गूंजने लगी।
चाची– रोहित जल्दी से खत्म कर यार।
मैं– बस हो गया चाची।
फिर मैंने जल्दी जल्दी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी कर चाची की चूत में रस भर दिया।
अब मैं चाची के जिस्म के ऊपर से हट गया।चाची भयंकर गुस्से में हो चुकी थी।
चाची– रोहित तूने बहुत ग़लत किया।
मैं– चाची आज तो होली है।इसमें बुरा मानने वाली क्या बात है।
चाची– जब मैंने मना कर दिया था तो फिर तूने इतना रंग क्यो लगाया?
मैं– चाची अगर मै आपको रंग नहींलगाता तो होली का मज़ा अधूरा ही रह जाता है। प्लीज चाची आप गुस्सा मत करो।
चाची– पूरा बेडरूम गंदा हो है।
मैं– कोई बात नहीं ये तो साफ हो जाएगा।
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फिर धीरे धीरे चाची का गुस्सा शांत हुआ। अब चाची ने कपडे पहने।फिर मैंने भी कपड़े पहने। अब मै वापस पढ़ाई करने बैठ गया।थोड़ी देर बाद नीचे रहने वाली किराएदार भाभियां आ गई और उन्होने चाची को अच्छी तरह से रंग दिया।
कुछ देर बाद चाचा होली खेलकर घर आ गए।फिर चाचा ने कहा कि वो शॉप पर जा रहे है। 3,4 बजे तक वापस आ जाएंगे।फिर चाचा किराने की दुकान पर चले गए। तभी लगभग 11 बजे चाची की 2 सहेलियां चाची को रंग लगाने आई। चाची की दोनो सहेलियां ही एकदम चिकनी माल थी। ये पहले भी चाची से मिलने आती रहती थी।
चाची की एक सहेली का नाम सलोनी था।वो लगभग 35 साल की शानदार माल थी। सलोनी भाभी के बड़े बड़े बूब्स थे जो लगभग 34 साइज के होंगे।सलोनी भाभी की गौरी चिकनी कमर 32 की और उनकी मस्त गुद्देदार मजबूत गांड़ लगभग 34 साइज होगी। वो चोदने के लायक एकदम मस्त शानदार माल है।
चाची की दूसरी सहेली नाम शिखा था।शिखा भाभी लगभग 34 साल की थी।शिखा भाभी का जिस्म भी एकदम भरा भरा सा था।शिखा भाभी के बूब्स लगभग 32 साइज थे। शिखा भाभी की गौरी चिकनी दूध जैसी कमर लगभग 30 साइज की और उनकी मस्त गांड़ लगभग 32 साइज की थी। शिखा भाभी भी लंड को भरपूर मज़ा देने वाली बिंदास माल थी।
सबसे पहले तो सलोनी और शिखा भाभी ने चाची को अच्छी तरह से पकड़ लिया।चाची खुद छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन चाची की कोशिश फ़ैल हो गई थी। अब सलोनी भाभी ने गुलाल निकाली और चाची के बूब्स में पूरी गुलाल भरकर चाची के बूब्स को रगड़ डाला। फिर सलोनी भाभी ने चाची के सलवार में गुलाल भर दी। अब शिखा भाभी ने भी पीछे से चाची की गांड़ में गुलाल भर दी और आगे से उनके बूब्स को रंग में रंग दिया। चाची उनकी दोनों सहेलियों के बीच बुरी तरह से फंसी हुई थी।चाची की दोनो सहेलियां चाची को बुरी तरह से रगड़ रही थी। फिर अच्छी तरह से रगड़ने के बाद उन्होंने चाची को छोड़ा।
मैं लोन में सोफे पर बैठकर पढ़ाई करते हुए चाची और उसकी सहेलियों की मस्ती देख रहा था। अब जैसे ही चाची उनकी सहेलियों को रंग लगाने लगी तो उन्होंने उलटा फिर से चाची को ही रंग डाला।तभी चाची ने कहा– रोहित मेरी हेल्प करा ना।
मैं– अभी आया चाची।
तभी मैंने फटाफट पक्का रंग घोला और सलोनी भाभी के पीछे पड़ गया।इधर चाची शिखा भाभी को लेे बैठी।सलोनी भाभी रंग देखते ही मुझसे बचने के लिए बेडरूम की तरफ भागी। अब वो फटाफट बेडरूम का दरवाजा बंद करने लगी तभी मैंने दरवाजे को पकड़ लिया और जोर से धक्का देकर मै भी बेडरूम में घुस गया। अब सलोनी भाभी मुझसे बचकर कहां जाती?
सलोनी भाभी– रोहित प्लीज ये रंग मत लगा।
मैं– भाभी आज तो आपको इसी रंग से रगडूंगा।
सलोनी भाभी– नहीं रोहित। प्लीज रहने दे ना।
मैं– आज तो मैं नहीं मानूंगा।
तभी मैंने सलोनी भाभी को पकड़ा और उन्हें दीवार के सहारे सटाकर उनके गौरे चिकने चेहरे को हरे पक्के रंग में रंग दिया।सलोनी भाभी को कुछ समझ में नहीं आया।वो रंग की जलन की वजह से खुद को सम्हालने लगी।तभी मैंने उनके चेहरे को फिर से रंग में रंग दिया।मुझे सलोनी भाभी के गौरे चिकने चेहरे को रंगने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।सलोनी भाभी अभी अभी अपने आप को बचाने की कोशिश कर रही थी।
अब मैंने सलोनी भाभी के साडी के पल्लू को खींचकर नीचे गिर दिया।तभी सलोनी भाभी तुरंत समझ गई कि अब उनके बूब्स का नंबर आ गया है। अब सलोनी भाभी ने ब्लाउज को दोनों हाथों से ढक लिया।वो बूब्स पर रंग लगाने से मुझे रोकने लगी।इधर मै भाभी के हाथो को ब्लाउज पर से हटाने लगा। लेकिन भाभी मान नहीं रही थी।फिर मैंने ज़ोर से झटका देकर भाभी के हाथो को ब्लाउज पर से हटा दिया।
ब्लाउज पर सलोनी भाभी की पकड़ ढीली पड़ते ही मै भाभी के ब्लाउज पर टूट पड़ा और ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर सलोनी भाभी के मस्त रसदार बूब्स को रंग में रगड़ने लगा। आह क्या मस्त बूब्स थे भाभी के।कसम से यारो भाभी के बूब्स को रगड़ने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।भाभी अभी भी मुझसे छीनाझपटी करने में लगी हुई थी। मैं भाभी को रंग लगाते हुए भाभी के बूब्स को दबाने , रगड़ने का मज़ा लेने लगा। भाभी के मस्त बूब्स का करंट सीधे मेरे लन्ड पर पड़ रहा था।मेरा लंड धीरे धीरे बेकाबू होता जा रहा था। फिर कुछ ही पलों में मैंने सलोनी भाभी के बूब्स को अच्छी तरह से रंग में रंग डाला। अब मेरा लन्ड तनकर लोहे की रॉड बन चुका था।
अब मैं जैसे ही डिब्बे में रंग लेने लगा तो सलोनी भाभी अपने आप को ठीक करने लगी।उन्हें नहीं पता था कि अभी उन पर और हमला होने वाला था।
भाभी– तू बहुत ज्यादा शैतान है रोहित।
मैं– अभी तो शैतानी बाकी है भाभी।
तभी मैं फिर से रंग लेकर सलोनी भाभी पर टूट पड़ा और अबकी बार मैंने सलोनी भाभी के पेटीकोट में हाथ घुसा दिया। अब मैं भाभी की पैंटी में हाथ डालकर भाभी की चूत को रंग में भिगोने लगा।भाभी की चूत पर मुझे बड़ी बड़ी फसल का एहसास हो रहा था।मेरी इस हरकत से भाभी एकदम से चौंक गई।वो मेरे हाथ को पेटीकोट में से बाहर निकालने की कोशिश करने लगी।
भाभी– रोहित प्लीज वहां रंग मत लगा ना।
मैं– भाभी आज तो मैं आपको पूरी रंगकर ही छोड़ूंगा।
भाभी– रोहित,नहीं प्लीज रहने दे ना।
मैं– नहीं भाभी।आज तो होली है।फिर मुझे ऐसा मौका कभी नहीं मिलेगा।
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