दो औरतों की हवस- Group Sex Stories
- By : Admin
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नमस्कार मित्रों। मैंने इस कहानी के ज़रिए से मेरी आँखों देखि घटना के बारे में बताया है। मज़े से पढ़िए और कमेंट करके बताए कि आप लोगों को कहानी कैसी लगी।
दोपहर का समय था। मैं अपने कमरे में आराम कर रहा था जब मेरी माँ ने मुझे बुलाया। मैं उठकर माँ के कमरे में चला गया और उन्हें बिस्तर पर लेटा हुआ पाया।
[माँ:] बेटा मनोहर, ज़रा गंगा मौसी को बुलाकर ला तो। और सुन, पिछली बार की तरह सीधे उसके घर के अंदर घुस मत जाना। दरवाज़े की कुंडी ज़ोर से खटखटा और उसका बाहर ही इंतज़ार कर।
मैं अपने घर से निकला और गंगा मौसी के घर की तरफ़ चलने लगा। चलते-चलते मैं पिछली बार की घटना को याद करने लगा। पिछली बार, मैं गंगा मौसी के घर के अंदर घुसकर उन्हें बुला रहा था।
मुझे और मेरी दोनों बेटी को खूब चोदा
वह नहीं आई इसलिए मैं रसोई-घर चला गया और उन्हें ढूँढ़ने लगा। तभी मुझे बाथरूम से औरतों के चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी। मैं सोचा कोई मुसीबत में होगा इसलिए दरवाज़े को धक्के मारकर खोलने की कोशिश करने लगा।
लेकिन गंगा मौसी ने दरवाज़ा खोला और अपनी मुंडी बाहर निकालकर मुझे बाहर रूकने को कहा। मुझे जानना था कि अगर अंदर कोई मुसीबत में नहीं था तो फिर चिल्ला क्यों रहा था।
मैं घर के छत पर चढ़कर धीरे से बाथरूम के पत्रे से नीचे झाँकने लगा। मैंने देखा कि अंदर गंगा मौसी के साथ २ औरतें थी जो अपनी साड़ी ठीक कर रही थी। बाद में जब मैंने अपनी माँ से उस घटना के बारे में कहा, तब वह शर्मा गई और मुझे उस घटना को भूल जाने के लिए कहा।
मैं गंगा मौसी के घर पहुँचकर उन्हें पुकारने लगा। थोड़ी देर बाद, जब वह बाहर आई तब मैंने उन्हें माँ से मिलने के लिए कहा। मुझे ५ मिनट रूकने को बोलकर गंगा मौसी अंदर चली गई।
५ मिनट बाद, गंगा मौसी मैक्सी पहनकर बाहर आई। उनके हाथ में एक कपड़े की थैली थी जिसमें कुछ सामान था। रास्ते में गंगा मौसी मुझसे कहने लगी कि मैं दूसरी गली में जाकर नाटक मंडली का कार्यक्रम देखूँ, क्यूँकि उन्हें माँ के साथ कुछ ज़रूरी बातें करनी थी।
मैंने गंगा मौसी को “ठीक है” बोलकर निकल गया और दौड़ते हुए अपने घर के पिछवाड़े पहुँचकर उनका छिपकर इंतज़ार करने लगा। गंगा मौसी मेरे घर आकर बाहर का दरवाज़ा बंद करके माँ के कमरे में चली गई।
मैं घर के पिछवाड़े से दबे पाँव चलकर अंदर घुस गया और माँ के कमरे के पास आकर बैठ गया। मैं छिपकर अंदर कमरे में झाँकने लगा। गंगा मौसी माँ से चिपककर सो गई और अपना हाथ उनकी मैक्सी के अंदर घुसा दिया।
माँ की चड्डी के अंदर हाथ घुसाकर गंगा मौसी उनकी काली चूत की दरार को उँगलियों से रगड़ने लगी। उत्तेजित होकर माँ अपनी चौड़ी कमर को गंगा मौसी की काली चूत के हिस्से से दबाकर घिसने लगी थी।
गंगा मौसी ने अपना मुँह माँ की तरफ़ ले जाकर उनकी चुम्मियाँ लेने लगी। उनके होंठों को अपने होंठों से रगड़ते हुए उन्हें मस्त कर रही थी। माँ की गरम साँसों से उत्तेजित होकर गंगा मौसी ने उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया।
कुछ देर ऐसे ही वह दोनों एक दूसरे को गरम और मस्त करने लगे। गंगा मौसी माँ की झाँट से भरी काली चूत को रगड़ रही थी। गंगा मौसी उनकी काली चूत की पँखुड़ियों को खोलकर उसे गीला होने तक अपनी उँगलियों से रगड़ती रही।
माँ की सिसकियाँ निकलनी शुरू हो गई थी। तब गंगा मौसी ने कपड़े की थैली से एक भिन्डी निकाली। गंगा मौसी ने भिन्डी को माँ की काली चूत में घुसा दिया। भिन्डी चूत में घुसते ही माँ थिरथीराने लगी।
उनकी चड्डी उतारकर गंगा मौसी ने उनकी टाँगे फैला दिए। उनकी काली चूत को अपनी ज़ुबान से चाटकर गंगा मौसी माँ को मूड में लेकर आ रही थी। गंगा मौसी ने भिन्डी को माँ की काली चूत के अंदर घुसाकर अंदर-बाहर करना शुरू किया।
माँ अपने मुँह पर हाथ रखकर चीख़ने लगी थी। गंगा मौसी ने उनकी उत्तेजना को बढ़ाने के लिए उनकी गाँड़ की छेद में अपनी उँगली घुसाकर अंदर-बाहर करने लगी। माँ के पैर काँपने लगे थे।
माँ अपनी मैक्सी उतारकर गोल-मटोल चूचियों को दबाने लगी। गंगा मौसी ने भिन्डी को उनकी काली चूत के और अंदर घुसा दिया, जिसकी वज़ह से माँ ने अपनी चूचियों को एक दूसरे के साथ दबा दिया और बारी-बारी करके अपने निप्पल चूसने लगी।
थोड़ी देर बाद, गंगा मौसी ने एक मोटा गाजर निकाला। माँ ने उसे देखते ही अपनी गाँड़ की छेद को सिकुड़ लिया था।
गंगा मौसी ने भिन्डी को माँ की काली चूत से निकालकर अपनी काली चूत में घुसा दिया। भिन्डी को काली चूत में घुसाने के बाद गंगा मौसी माँ के ऊपर उछल पड़ी और उनकी चूचियों को दबाकर चूसने लगी।
गंगा मौसी की काली चूत से भिन्डी का बाहर निकला हुआ हिस्सा वह माँ की काली चूत पर रगड़ने लगी। वह दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसकर, एक दूसरे की थूक को निकालने लगे। गंगा मौसी उठकर माँ की काली चूत के पास आकर बैठ गई। गाजर पर घी लगाकर गंगा मौसी ने उसकी नोक को माँ की काली चूत की दरार पर रखा।
धीरे से गंगा मौसी ने गाजर को उनकी काली चूत के अंदर घुसाना शुरू किया था। ७-८ बार अंदर-बाहर करने के बाद गाजर माँ की काली चूत में पूरा घुसने लगा था। माँ ज़ोर से चीख़ने लगी थी।
उनकी चीख़ों को सुनकर गंगा मौसी भिन्डी को अपनी काली चूत के अंदर घुसाने लगी। माँ की गीली काली चूत के अंदर गाजर तेज़ी से अंदर-बाहर फिसलने लगा था। गंगा मौसी ने अपनी बिच की उँगली को माँ की गाँड़ की छेद के अंदर घुसा दिया था।
माँ इतनी गरम और मस्त हो चुकी थी कि वह अपना पेट ऊपर-निचे उठा रही थी। कुछ देर बाद, माँ उठ गई और गंगा मौसी को बिस्तर पर लेटा दिया। उन्होंने अपनी गाँड़ को गंगा मौसी के मुँह पर रखा और आगे झुककर उनके ऊपर लेट गई।
माँ ने गाजर अपने पास ले लिया और गंगा मौसी को भिन्डी पकड़ा दिया। वह गाजर गंगा मौसी की गीली काली चूत के अंदर घुसाने लगी। गंगा मौसी की चीख़ों की आवाज़ को रोकने के लिए उन्होंने अपनी गाँड़ को मौसी के मुँह पर दबा दिया था।
गंगा मौसी की गाँड़ की छेद में उँगली फसाकर माँ गाजर को गंगा मौसी की काली चूत में तेज़ी से अंदर-बाहर घुसाने लगी। गंगा मौसी ने भिन्डी को अपने मुँह में डालकर साफ़ किया और उसे माँ की गाँड़ में घुसा दिया।
गाँड़ की छेद में भिन्डी घुसते ही, माँ अपनी गाँड़ मौसी के चेहरे पर उछालने लगी थी। गंगा मौसी अपनी ज़ुबान को माँ की काली चूत में घुसाकर उसे चाटने लगी। थोड़ी देर बाद, माँ की काली चूत से चिपचिपा पानी छूटने लगा था।
गंगा मौसी ने जब उनकी काली चूत को चाटना शुरू किया तब माँ ज़ोर से चिल्ला उठी। उनकी काली चूत से चिपचिपे पानी की तेज़ धार छूटकर गंगा मौसी के चेहरे पर गिर गई। माँ हाँफते हुए गंगा मौसी के चेहरे को अपनी गाँड़ से घिसकर साफ़ करने लगी थी।
माँ फिर से गंगा मौसी की काली चूत में गाजर घुसाने लगी थी। गंगा मौसी ने भिन्डी को उनकी गाँड़ की छेद से निकालकर अपने मुँह में घुसा दिया।
चाटकर भिन्डी को पूरा साफ़ करने के बाद, गंगा मौसी ने अपनी ज़ुबान को माँ की गाँड़ की छेद के अंदर घुसा दी। गंगा मौसी की काली चूत से भी चिपचिपा पानी निकलने वाला था इसलिए गंगा मौसी ने माँ के चुत्तड़ को दबोच लिया।
उनकी गाँड़ में अपनी ज़ुबान अंदर तक घुसाकर गंगा मौसी ने चिपचिपे पानी की तेज़ धार उनके चेहरे पर छिड़क दिया। माँ गंगा मौसी के ऊपर से हटकर बिस्तर पर लेट गई। गंगा मौसी माँ के चेहरे पर अपनी गाँड़ टिकाकर उनका चेहरा साफ़ करने लगी।
गंगा मौसी चूचियों को दबाकर उनके होंठों को चूस रही थी। माँ गंगा मौसी की गाँड़ की दरार को अपनी उँगलियों से रगड़कर उन्हें उकसाह रही थी। देखते ही देखते, वह दोनों अपनी काली चूत को एक दूसरे की काली चूत पर घिसने लगे।
गंगा मौसी ने भिन्डी को वह दोनों की काली चूत के बिच में रख दिया और उसे काली चूत से दबाने लगे। गंगा मौसी और माँ एक दूसरे की गाँड को पकड़कर भिन्डी पर अपनी काली चूत को ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारकर घिसने लगे।
वह दोनों चिल्ला-चिल्ला कर अपनी हवस की गर्मी को व्यक्त कर रहे थे। थोड़ी देर बाद, वह दोनों हाँफते हुए बिस्तर पर लेट गए। गंगा मौसी उठकर अपने कपड़े पहनने लगी और कुछ देर बाद घर से निकल गई। माँ ने अपनी मैक्सी पहन और थकान के मारे सो गई।
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