भाभी का झलकता प्यार | Indian Sex Bhbhi Hindi Story Part – 1

indian sex bhbhi hindi kahani
Busty Bhabhi

कभी वो मुझे मेरी माँ सी लगती थी तो कभी बहन का प्यार देती थी ,वो मेरी सबसे अच्छी दोस्त भी थी जिससे मैं दिल खोलकर अपनी बाते कर सकता था ,माँ बाप के जाने के बाद वही तो थी जिसने मुझे सम्हाला था ,हर दर्द मे साथ थी वो और हर खुशी उससे ही शुरू होती थी


जिस भाई से मैं इतना डरता था वो उसकी पत्नी थी , लेकिन मुझे अभी उनसे कोई भी डर नही लगता ,असल मे तो उनके होते मैं ऐसा होता
कि मुझे कोई भी डर कभी छु भी नही सकता ,वो थी मेरी भाभी माँ …

माँ इसलिए क्योकि उन्होने मुझे माँ वाला प्यार भी दिया था ,मैं अभी अभी तो अपनी जवानी की दहलीज मे कदम रख रहा था जब मेरे एकलौते भाई ने अपने पसंद से और घर वालो के विरुध जाकर शादी कर ली थी ,मेरे परिवार ने उन्हे अपने से अलग ही कर दिया था ,मेरी माँ का रो रो कर बुरा हाल कर दिया था, मुझे नही पता था की समाज के ये बंधन आख़िर क्यो है लेकिन एक लड़की जिसने मेरे भाई को अपनाने केलिए अपने परिवार को छोड़ा था वो मेरे लिए बेहद खास ही थी …

उनकी शादी को एक साल हो चुका था, मैं उस समय स्कूल मे ही था कभी कभी स्कूल से छूट कर तो कभी स्कूल ना जाकर मैं उनके पास पहुच जाता था, वो बड़े प्यार से मुझे अपने पास बिठाती दुनिया भर की बाते करती और फिर आख़िर मे उनकी आँखे ही भर जाती ..

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“सोनू काश मम्मी पापा भी मुझे अपना पाते जैसे तूने मुझे अपना लिया “

मैं क्या कहता, मैं तो उनके हाथो से बने खाने के लिए वहाँ चला जाता था और फिर खाने के बाद मिलने वाली मिठाई के लिए, मैं चुप ही रहता लेकिन जब वो रोने लगती तो उनकी प्यारी आँखो मे आए आँसू मुझे मेरे दुशमन ही लगते थे

“अरे भाभी माँ आप भी क्यो मम्मी पापा की टेन्षन ले रहे हो ,वो कुछ भी बोले आपका ये सोनू हमेशा आपके साथ है ..”

मैं बस इतना ही बोलता था और भाभी के चहरे मे खुशी खिल सी जाती जैसे उन्हे कोई जन्नत मिल गई हो ,वो मुझ पर और भी प्यार लूटाती थी ,भाभी पास के ही गाँव की थी, भाई के कॉलेज के पास एक छोटी सी दुकान चलाती थी ,बेहद ही ग़रीब घर की थी पता नही कैसे लेकिन भाई का उनपर दिल आ गया ,जात अलग थी तो भाई को भी शादी करने मे परेशानी हुई ,भाभी एक ग़रीब परिवार की थी वही हम थे अपने गाँव के पंडित ,दूर दूर तक हमारे परिवार के चर्चे थे ये मेरे बापू मुझे बोला करते थे..

“तू कही अपने भाई जैसे जात के बाहर की लुगाई ना ले आना “

कभी कभी बोलते हुए उनकी आँखे पता नही कहाँ खो जाती थी

“अरे बापू भाभी बहुत ही अच्छी है आप लोग उन्हे क्यो इतनी नफ़रत से देखते हो “

मैं बोल उठता था ..

और फिर बापू का लेक्चर हो जाता था चालू, जात पात की कई कहानिया शुरू हो जाती थी ..

“मैं तो उस रांड़ के हाथो से पानी तक ना पियू “

बापू का इस तरह भाभी के लिए बोलना मुझे कभी सोभा नही देता

“बापू वो मेरी भाभी माँ है उन्हे ऐसा कुछ मत कहा करो “

“तेरी इतनी मज़ाल तू मुझसे ज़ुबान लड़ाता है वो भी उस रांड़ के लिए ,तेरे भाई को तो खा गई है मादर्चोद अब तुझे भी अपने बस मे कर लिया है क्या उसने “

बापू की बात से मेरा दिल ही भर जाता, मुझमे समझ ही थी कि आख़िर मेरी प्यारी सी भाभी ने ऐसा क्या अपराध कर दिया है ,लेकिन मैं उनके लिए लड़ जाता था और बदले मे मुझे मिलती थी जोरदार मार …

कभी बापू से तो कभी माँ से ..फिर मैं अपना चेहरा लटकाए हुए पहुच जाता था अपनी प्यारी भाभी के पास

भाई तो मुझसे 10 साल का बड़ा था उससे कुछ बोलते मेरी हालत ही ख़सती हो जाती थी लेकिन भाभी मुझे समझती थी मेरी एक एक रग का उन्हे पता था ..

“क्या हुआ सोनू फिर से पापा ने तुझे मारा “

मैं दौड़ता हुआ जब गाँव से दूर बने उनके घर मे जाता वो मेरा चेहरा देख कर ही बता देती थी कि मैं आज मार खा कर आया हूँ ..

“देखो ना पापा आपको रांड़ बोल रहे थे ,मुझे अच्छा नही लगता अगर आपको कोई कुछ भी बोले “

पता नही मेरी मासूमियत थी या मेरा भोलापन लेकिन मुझे रांड़ शब्द की असलियत उस समय नही पता थी मुझे बस इतना ही पता था कि ये एक गाली है ..

वो बेचारी मेरी बात सुनकर थोड़ी उदास सी हो जाती ..

“तू क्यो उनसे बहस करता है, आख़िर जानता है ना की उनसे बहस करने से मार खाएगा “

वो धीमी सी आवाज़ मे बोलती थी

“तो क्या आपको वो गाली देंगे तो मैं सुनूँगा “

मैं थोड़ा गुस्सा हो जाता

“अरे तो क्या हुआ सुन लिया कर ना “

“कैसे सुनू आप मेरी भाभी माँ हो “

मेरी बात सुनकर वो हंस पड़ती थी, कभी कभी मेरे गालो को खिच लेती ..

“तू इतना प्यार करता है अपनी भाभी माँ से “

वो मुझे अपलक निहारती

“प्यार का तो नही पता लेकिन मुझे पसंद नही कि आपको कोई कुछ भी बोले “

“अच्छा तो अपने भाई से क्यो नही कहता जो पापा ने कहा “

भाई की बात सुनकर ही मैं घबरा जाता था..

“उन्हे क्यो बीच मे लाती हो “

“अरे क्या हुआ ??”

वो मुस्कुराते हुए कहती थी

“उनसे मुझे डर लगता है “

और वो जोरो से हंस पड़ती, मेरे बालो को प्यार से सहलाती

“भला क्यो …??”

“पता नही बस लगता है “

“अच्छा और मुझसे ??”

वो फिर से मेरे चेहरे को बड़े ही प्यार से देखती थी

“आप तो मेरी भाभी माँ हो, आपसे क्यो डरुन्गा “

वो मुझे कभी कभी खिचकर अपने सीने से लगा लेती ,तो कभी सिर्फ़ मेरे गालो मे एक प्यारा सा चुम्मन दे देती

“अच्छा मेरा प्यारा सोनू ..”

मैं खुश हो जाता था ,ऐसा प्यार तो मेरी माँ ही मुझे करती थी ,माँ जैसा प्रेम और बहन जैसी केर करने वाली ये आद्भुत सी औरत एक वो ही तो थी मेरी भाभी माँ ………. To be Continued…..

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