बरखा की हवस लंड से मिटाई- College Sex Stories

पापा की परी को पापा ने ही पेल दिया- Father's daughter's fuck Stories
College Sex Stories

नैना आंटी के सिखाए गुर उनकी अपनी बेटी टीना पर आज़माने के बाद उसी परिवार की एक और चुदासी चूत को मेरे लंड की प्यास लगी और ये थी नैना आंटी की ननंद की बेटी बरखा, मुझे भी पता नहीं उसके साथ मेरा सेक्स सम्बन्ध इतनी जल्दी कैसे बन गया पर जो भी था ज़ोरदार था।

टीना के साथ मेरे चुदाई कार्यक्रम अब आए दिन होने लगे थे और नैना आंटी भी कभी कभार ही सही मुझे अपनी चूत की सेवा का मौका दे ही देती थी तो अपने लंड के दिन अच्छे बीत रहे थे लेकिन बरखा ने मेरे लंड पर जो प्यार बरसाया वो कुछ अलग ही था।

बरखा हमारी कॉलोनी में ही पपीछे वाली गली में रहती थी और उसका कॉलेज मेरे पापा के ऑफिस के रास्ते में ही था सो अक्सर उस से नज़रें दो चार हो जाती थीं, स्लिम ट्रिम बरखा की आंखें बहुत खुबसूरत थी और कुछेक ड्रेसेज़ में तो वो बहुत क्यूट भी लगती थी।

दोस्त की कुंवारी गर्लफ्रेंड की पहली चुदाई | Hindi Kahani Sex Story

मैं उसकी तरफ आकर्षित भी हो रहा था लेकिन डर था की कहीं एक ही घर की तीएसरी चूत चोदने के चक्कर में मेरे लौड़े ही नना लग जाएँ और इसी उहापोह में मैंने कई दिन गुज़ार दिए।

एक दिन मुझे ऑफिस जाते हुए रस्ते में बरखा नज़र आई वो सड़क के किनारे स्कूटी रोक कर खड़ी थी और एक बाइक वाला बन्दा उसके बाजू को पकड़ के उसे कुछ गुस्से में समझा रहा था।

मैंने गाड़ी एक दम उनके पास ही लगा ली तो वो लड़का पता नहीं क्या सोच कर तुरंत बाइक स्टार्ट कर के भाग खड़ा हुआ, मैंने पहले तो डर कर भागे लड़के को देखा और फिर बरखा को। उसकी आँखें नाम थीं और बाजू पर निशाँ पड़े हुए थे, शायद उस लड़के के टाइट पकड़ने के कारण पड़े होंगे।

मैंने बरखा से पूछा क्या माजरा है तो उसने कहा “मेरा एक्स बॉय फ्रेंड था” बस ये सुन कर मैं सारा ही माजरा समझ गया और उसे कहा “तुम स्कूटी से आगे आगे चलो मैंने तुम्हारे घर तक तुम्हारे पीछे गाड़ी ले कर चलूँगा कोई तुम्हे परेशां नहीं कर सकता”।

बरखा ने मेरी बात मानी और इस तरह मैंने बरखा को उसके घर पहुँचा दिया, जब मैं गाड़ी मोड़ रहा था तो बरखा गहर के बाहर स्कूटी खड़ी कर के मेरे पास आई और बोली “थैंक्स भैया आज आप नहीं आते तो वो पता नहीं क्या करता”।

भैया सुनकर मेरे तो गोटे शॉट हो गए लेकिन मैंने कहा डरो मत और अग्ली बार अगर वो परेशां करे तो ये मेरा नम्बर ले लो, ये कह कर मैंने उसके मोबाइल में अपना नम्बर फीड कर दिया।

आखिर हम भी परले दर्जे के हरामी हैं ऐसे ही अपनी पसंद को भैया बोल कर बहना नहीं बनायेंगे, अब इतना तो नैना आंटी की सीखों और मेरे हरामी दिमाग की मदद से मैं कर ही लेता था।

दो तीन दिन तक उसका कोई मेसेज नहीं कॉल नहीं, और तो और ठीक कॉलेज के समय पर उसका इंतज़ार करने पर भी वो नहीं नज़र आई तो मैंने उसे मेसेज किया “हेलो बरखा, कहाँ हो। वो लड़का परेशां तो नहीं कर रहा” तो उसका रिप्लाई आया “हेलो भैया, मैं घर पर ही हूँ और अब वो परेशां नहीं कर रहा। थैंक्स”।

अब तो मानो मेरे खड़े लंड पर दंड हो गया था, मतलब की भेनचोद दूसरी बार भैया बोला ये तो हद्द ही नहीं हो गई। खैर मैंने उस रात बड़े दिनों के बाद मुठ मारी और कसम से बरखा का नाम लेने से मेरा वीर्य निकला भी बड़ी देर से, लेकिन अब दिल में बस बरखा को चोदने की चाहत प्रबल हो गई थी।

रात को कोई तीन बजे उसका मेसेज आया “हेलो” मैंने कोई रिप्लाई नहीं किया तो फिर मेसेज आया “आप सो गए क्या” तो भी मैं रिप्लाई नहीं किया तो फिर उस ने एक सैड सा एमोटीकॉन भेजा लेकिन मैंने फिर भी रिप्लाई नहीं किया और फ़ोन साइलेंट पर कर के सो गया।

अगले दिन सुबह उठ कर देखा तो उसका मिस्स्ड कॉल था, मैंने मेसेज कर के पूछा “क्या हुआ, इतने मेसेज और मिस्स्ड कॉल” तो रिप्लाई आया “जनाब की गुड मोर्निंग हो गई हो तो बात करूँ” और साथ में एक स्माइली वाला एमोटीकॉन भी आया।

मैंने कॉल कर दिया तो उसकी मीठी आवाज़ में जैसे मैं कहीं खो गया पर फिर होश आया तो मैंने पूछा “तुम आज क्या कर रही हो” तो उसने कहा “वही तो बता रही थी कि मुझे एक प्रोजेक्ट के लिए आपकी फैक्ट्री विजिट करनी है” मैं खुश हो कर बोला “अरे इस में क्या है वो तो मैं खुद करवा दूंगा, तुम बताओ कब करनी है। बल्कि मैं तो कहूँगा आज ही आ जाओ”।

बरखा तुरंत तैयार हो गई और कहा “मैं आपके घर के नेक्स्ट वाले चौराहे पर मिल जाऊँगी वहीँ पास में मेरी फ्रेंड का घर है वहां स्कूटी खड़ी कर के आपके साथ फैक्ट्री चली जाऊँगी”, मैं उस से बात करते करते ही तैयार होने की कवायद शुरू कर चुका था और फटाफट तैयार हो कर मैं वहीँ पहुँच गया जहाँ बरखा ने मुझे कहा था।

थोड़ी देर में बरखा भी आ गयी और गाड़ी में बैठ गई, फ्लोरल टॉप और जीन्स में बहुत सुन्दर लग रही थी बरखा और उसकी स्लिम ट्रिम बॉडी पर ये ड्रेस अच्छा भी बहुत लग रहा था। मैंने बिना कुछ सोचे समझे कॉम्प्लीमेंट कर दिया तो मुस्कुराते हुए बोली “नया है, कल ही खरीदा था” मैंने भी मुस्कुरा कर पूछा “एनिथिंग स्पेशल टुडे” तो बोली “हो भी सकता है”।

हम फैक्ट्री पहुंचे और मैंने उसे पूरा प्रोसेस साथ में घूम घूम कर दिखाया, इसके अलावा मैंने उसे फैक्ट्री के प्रोसेस वगेरह से जुडी एक फाइल भी हाथों हाथ मेल कर दी जिस से उसे प्रोजेक्ट में ज्यादा प्रोब्लम ना आए।

“हम तो जल्दी फ्री हो गए” बरखा बोली, मैंने कहा “हाँ हो तो गए हैं, चलो लंच करते हैं” ये बोल कर मैंने पियोन को इशारा किया और वो कार में से मेरा टिफ़िन ले आया जिस में आज मैंने ज्यादा खान रखवाया था और बरखा की फेसबुक वाल पर थोड़ी रिसर्च से उसकी पसंद की सब्जी, मिठाई सब रखवाई थी।

बरखा इम्प्रेस हो गई और चाव से खाने लगी, मैंने पूछा “खाना कैसा लगा” तो बोली “ये मेरे लिए ही बना था या आज कुछ स्पेशल है” तो मैंने भी उसके ही अंदाज़ में कह दिया “हो भी सकता है”।

बरखा खुल के हँसने लगी और बोली “पहली बार कोई ऐसा मिला है जिसकी चॉइस मेरी चॉइस जैसी है” मैंने कहा “ऐसा कैसे हो सकता है” तो वो बोली “क्यूँ नहीं हो सकता” तो मैंने फ़्लर्ट करने के अंदाज़ में कहा “मेरी चॉइस तुम हो तो क्या तुम्हारी चॉइस भी तुम ही हो”।

बरख फिर से खुल के हंस पड़ी और बोली “मेरी चॉइस तो आप हो लेकिन” मैंने कहा “लेकिन क्या” तो बोली “लेकिन मैंने तो आपको भैया बोल दिया” तो मैंने कहा “बोला ही तो है, माना तो नहीं”।

ये सुनकर वो शर्मा गई और मेरे सीने से लग गई, मैंने भी उसे अपनी बाहों में समेट लिया और उसके गर्दन पर किस करने लगा। वो तडप उठी और उसने भी मुझे चूमना शुरू कर दिया लेकिन अगले ही पल मुझे याद आया कि ये तो मेरा फैक्ट्री ऑफिस है कहीं किसी ने पापा से शिकायत कर दी तो लग गए लौड़े।

मैंने कहा चलो “मैं तुम्हे एक जगह दिखाता हूँ” ये कह कर मैं उसे फैक्ट्री के पास ही बने गेस्ट हाउस में ले गया जिस में हमारे क्लाइंट्स और इंजिनियर्स के ठहरने की व्यवस्था थी। इस गेस्ट हाउस को पापा ने एक डीएम फाइव स्टार होटल जैसा बनवाया था, आराम दायक कमरे – स्टीम बाथ – सॉना बाथ – स्विमिंग पूल – बार – पैंट्री सभी कुछ तो था यहाँ पर।

मैं बरखा को सबसे अच्छे कमरे में ले गया और उसे गले लगा लिया वो भी मेरे गले लग कर मुझे चूमने लगी और थोड़ी ही देर में हम दोनों बिस्तर पर थे, बिस्तर पर जाते ही वो बोली “आपके पास कंडोम तो है न” तो मैं मुस्कुरा दिया और बोला “नहीं है लेकिन तुम चिंता मत करो ना तो मुझे एड्स है और ना ही मैं तुम्हे प्रेग्नेंट करूँगा”।

बस फिर तो वो शर्मा कर मेरे गले लग गई और बेकाबू हो कर मुझे चूमने लगी, मैंने उसके टॉप के उपर से ही उसके नन्हे नन्हे चुचों को सहलाना शुरू किया तो उसकी आह निकल पड़ी और उसने मेरे होंठों को चूमना और चूसना शुरू किया।

मैंने बरखा से पूछा “तुम वर्जिन तो नहीं हो” तो बोली “नहीं हुई तो क्या मेरे साथ सेक्स नहीं करोगे” मैंने कहा “ऐसा नहीं है लेकिन तुम्हे दर्द बहुत होगा” तो उसने कहा “नहीं होगा मैंने पहले अपने बॉय फ्रेंड के साथ कर चुकी हूँ”।

बरखा और मैं दोनों ही एक दुसरे को चूमते हुए गर्म हो चुके थे मैंने उसके सरे कपडे उतर दिए अब उसका हलके ताम्बी रंग का कोरा बदन मेरी आँखों के सामने पूरा नंगा था उसके नन्हे नन्हे चुचे बड़े ही क्यूट दिख रहे थे, उसके होंठ उसकी आँखें और उसकी छोटी सी गांड जिस पर मैं हाथ फेर रहा था सब एक दम सिल्क से बने थे।

बरखा की पीठ पर ऊँगली फिरते हुए मैंने उसके बाल पकड़ कर अपनी तरफ खींच और उसके नंगे बदन को बेतहाशा चूमना शुरू किया, वो पागल हुई पड़ी थी क्यूंकि मेरे होंठ उसके बदन पर किसी जानवर की तरह रेंग रहे थे और वो इस चीज़ से बेहाल थी।

उसने इसी हालत में मेरे कपडे उतारने शुरू किए और मेरी चेस्ट को चूमने लगी पर जैसे ही बरखा ने मेरी जीन्स खोली तो मेरी अंडर वियर में खड़ा मेरा लंड देख कर बोली “इस से तो दर्द होगा, ये मेरे बॉय फ्रेंड से काफी बड़ा है” तो मैं उसे समझाया “नहीं हो दर्द, शुरू शुरू में ऐसा लगता है लेकिन फिर तुम्हारी चूत इस से भी बड़ा लंड खाने को तैयार हो जाएगी”।

बरखा ने मेरे लंड की अच्छे से मालिश की वो मेरे लंड से खेल रही थी तो मैंने उसे सिक्सटी नाइन की पोजीशन में आने को कहा, उसने पहले ये नहीं किया था सो उसे समझाना भी पड़ा। लेकिन एक बार खेल समझ में आने के बाद वो मेरे ऊपर सिक्सटी नाइन की पोजीशन में आ ही गई,

अब हम दोनों एक दुसरे के जननांगों को चूम और चाट रहे थे। वो पहले ही मेरे स्पर्श से बावली हुई पड़ी थी, और अब उसकी चूत पर मेरी जीभ का कहर बरपा हो रहा था सो वो मेरे लंड पर अपना ध्यान नहीं दे पा रही थी इसलिए मैंने उसे समझाया “इस तरह से तो केवल तुम्ही खुश हो पोगी और मेरा रह जाएगा तो तुम मेरे लंड पर ध्याम दो और अगर एक्साइटमेंट बढे तो उसका असर मेरे लंड पर मुंह चला कर दिखाओ”।

एक बार समझाने के बाद बरखा ने मेरी पाइपलाइन को ऐसे चूसा की ख़ाली कर के ही मानी लेकिन उसने मेरा वीर्य पिया नहीं क्यूंकि उसने पहली बार ओरल किया था और ये उसे पीना अजीब लगा,

खैर मैंने उसकी इस बात को नज़र अंदाज़ करते हुए उसकी चूत पर अपनी जीभ का कमाल जारी रखा और जमकर उसे चाटा और थोड़ी ही देर में उसकी प्यारी बिना बालों वाली चूत ने अपना प्रसाद दे ही दिया जिसे मैंने बिना किसी हुज्जत चाट लिया। बरखा इतनी सेटिस्फाई हो गई थी की उसकी चूत फूल कर कुप्पा हो गई थी और अब उसे एक अजब सा नशा छा रहा था।

मैंने भी आव देखा ना ताव और दुबार उसकी जवानी को रौंदने का प्रोग्राम बनाया, बरखा अब और भी दुगने जोश के साथ मेरा लंड मसल रही थी और बोल रही थी “आप इसे कब डालोगे यार, प्लीज़ डाल दो ना” मैंने कहा “मेरी जान अभी तुम भी दुबारा गर्म हो जाओ और इसे भी होने दो फिर करेंगे असली चुदाई”।

बरखा के हाथों की बरकत से मेरा लंड फिर जोश में आ गया था और अब बरखा ने मुझे हाथ जोड़ कर कहा “प्लीज़ फक मी, अब तो डाल ही दो”।

मैंने उसे लिटाया उसकी लेफ्ट टांग को उठाया और पास में लेटकर उसकी चूत पर अपने लंड का टोपा टिका दिया और उसे धकेलने से पहले उसकी लेफ्ट टांग को थोडा और ऊपर उठा कर मैंने निशाना साध के अपना भरा पूरा लंड बर्कः की कच्ची चूत में पेल दिया।

जैसे ही लंड अन्दर गया बरखा चिल्ला पड़ी “ऊऊह्ह्ह मम्मी कितना बड़ा है ये तो, प्लीज़ फाड़ना मत नहीं तो मेरी लाइफ खराब हो जाएगी” तो मैंने कहा “अरे पगली लाइफ खराब नहीं होगी बल्कि बन जाएगी” और इतना कह कर मैंने उसे तेज तेज धक्के लगाने शुरू किए।

बरखा उछल उछल के मेरे लंड का मज़ा ले रही थी की मैंने उसे सीधा लिटा कर उसकी दोनों टांगें लगभग हवा में कर दीं और उसकी चूत को ऐसे उठाया कि अब बरखा एक धनुष जैसी मुड़ गई थी मैंने फिर से अपना लंड उसकी चूत में फंसाया और पांच मिनट तक ऐसे ही चोदा।

अब बरखा का जोश देखते ही बनता था वो चिल्ला भी रही थी रो भी रही थी लेकिन मरवाने की इच्छा ख़त्म नहीं हो रही थी उसकी, बरखा ने मुझे कहा “डॉगी स्टाइल में करो ना” मैंने भी उसकी बात मानी और उसे कुतिया की तरह बेड पर खड़ा कर दिया, उसके पीछे जाते ही मैंने एक चांटा उसकी नन्ही सी गांड पर रख दिया जिस से वो सिसक पड़ी।

अब मैंने बरखा की चूत में लंड लगाने के बाद अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और बीच बीच में उसके चुचों को भी मसलने लगा, बरखा बिलख रही थी और बोली “उफ़ अब रोकना मत प्लीज़” मुझे पता लग गया की वो झड़ने वाली है तो मैं धक्कों के साथ उसकी गांड में अपनी ऊँगली भी पेल दी इस से उसकी एक चिहुँक निकल गई।

बरखा की चूत में मेरा लंड, उसकी गांड में मेरी ऊँगली और उसका एक चुचा अब भी मेरे हाथ में होने की वजह से बरखा बावळी हो रखी थी और चिल्लाने के साथ साथ रो भी रही थी लेकिन इम्रे धक्के नहीं रुके और एक कमाल के धक्के के साथ मैं झड़ गया।

लेकिन मैंने अपना पूरा वीर्य वादे के मुताबिक उसकी चूत से बाहर निकाला और उसकी नंगी पीठ पर छोड़ दिया, मेरे लंड के बहार निकलते ही बरखा निढाल हो कर बिस्तर पर गिर गई तो मैंने पूछा “तुम्हारा नहीं हुआ क्या” तो बरखा मुस्कुराती हुई बोली “दो बार हुआ और बहुत मज़े से हुआ”।

हम दोनों पास पास लेटे हुए बातें करने लगे, बरखा की उस चुदाई के बाद मैंने उसे अपनी चुदाई लिस्ट में शामिल कर लिया और आए दिन हम लोग कहीं ना कहीं मिल कर अपनी हवस की आग बुझाते रहते थे और ये सिलसिला बरखा की शादी के बाद भी आज तक कायम है।

बरखा हमेशा मुझे कहती है “लंड तो मेरे पति का भी इतना ही बड़ा है लेकिन आपके चोदने का स्टाइल हर बार नया होता है और मुझे पूरे होने का अहसास दिलाता है” मैं भी मन ही मन मुस्कुरा कर नैना आंटी को थैंक्स कहना नहीं भूलता आखिर ये सब उन्ही का तो सिखाया हुआ है।

No Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अनजान लड़की को दोस्ती करके चोदा | Latest Hindi Sex Stories
Antarvasna Sex Story
कमाल की चूत मेरे दोस्त की ब्लाइंड डेट में- Antarvasna Sex Story

मेरा दोस्त मन्नू और मैं कॉल सेण्टर के प्रीपेड सेक्शन में रात की शिफ्ट में थे, वो अक्सर लडकियों के कॉल्स को सीरियसली लेता था और तुरंत उन्हें सलूशन दे देता था और साथ में ही जिस लड़की की आवाज़ पसंद आती उसका नम्बर नोट कर लेता ताकि उसे बाद …

कुंवारी भांजी की सील तोड़ चुदाई - Antarvasna Sex Story
Cousin Sex Stories
हाफ इंडियन कजिन की चूत पेली- Cousin Sex Stories

मैं बस ऑफिस से लौटा ही था कि मम्मी का नंबर मेरे मोबाइल पर फ़्लैश होने लगा, मैंने कॉल रिसीव किया तो उन्होंने बताया की मेरी छोटी मौसी की बेटी रिनाया अपने किसी सोशल प्रोजेक्ट पर ऑस्ट्रिया से इंडिया आ रही है। मैंने कहा “ठीक है तो आने दो” तो …

Cousin Sex Stories
मुँहबोली बहन की चूत हुई चमन- Cousin Sex Stories

दीक्षा हमारे पड़ोस में रहती थी उसकी मम्मी मेरे पापा को और दीक्षा जिसका घर का नाम डिक्की था वो मुझे और मेरे छोटे भाई को राखी बांधती थी, डिक्की ज़्यादातर हमारे घर में ही क्यूँकी उसके पापा पास के ही सीमेंट प्लांट में जॉब करते थे और उसकी मम्मी …