मकान मालकिन की बेटी को चोदा | Makaan Malkin ki Chudai Hindi Kahani
- By : Admin
- Category : Fuck Stories, Sex Stories, XXX Story
आआआअहह छ्चोड़ो ना सर उम्म्म्मम प्लीज़ औछ्ह्ह्ह्ह क्या कर रहे हो आप आआहह प्लीज़ सर मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूँ मुझे छोड़ दीजिए.
……….
ये थी डीएवी कॉलेज की इंग्लीश की टीचर जोत वर्मा. इन्होने ने इसी एअर कॉलेज में बतौर इंग्लीश टीचर जाय्निंग की थी. और जब से जाय्निंग की थी तब से ही पूरा कॉलेज इनके उपर फिदा था. स्टूडेंट तो स्टूडेंट उनके प्रोफ़्फेसर’स भी जोत मेडम के उपर लट्तू हुए फिरते थे. मॅम का फिगर 34-30-36 का था जिसने कि पूरे कॉलेज के मर्दों की नाक में दम कर रखा था.
अक्सर मॅम टाइट फिटिंग के सलवार कमीज़ पहनती थी जिनमे से उनका शरीर कुछ ज़्यादा ही आकर्षक लगता था. वैसे मॅम एक शादी शुदा औरत थी और उनकी शादी को 2 साल हो चुके थे. उनकी पोस्टिंग इस कॉलेज में हो गई थी इसलिए उन्हे अपना शहर छोड़ कर यहाँ पे आना पड़ा था उनके पति का वहाँ कुछ बिजनेस था इसलिए वो वही रहकर बिजनेस संभाल रहे थे और मॅम यहाँ पे कॉलेज के हॉस्टिल में टीचर’स के लिए बने रूम’स में रहती थी.
होस्टेल वार्डन एक सर विकी मल्होत्रा थे जिनकी निगाह जोत मॅम पे पहले दिन से ही थी. मगर उन्हे कभी मौका नही मिल पाया था जोत मॅम के साथ कुछ छेड़खानी का. वैसे वो पूरे कॉलेज में अपने थरकि पाने के कारण मसहूर थे.
आज जब जोत मॅम उन्हे एक फाइल देने उनके कॅबिन में आई तो वो अपने आप को रोक नही सके और उन्होने मॅम को खीच कर अपनी गोद में बिठा लिया था. उनके हाथ जोत मॅम के मम्मों को कमीज़ के उपर से ही मसल रहे थे और जोत मॅम उनसे आज़ाद होने की आसफल कोशिश कर रही थी. सर ने पूरी ताक़त के साथ मॅम को जाकड़ रखा था. जोत मॅम आहें भरती हुई उन्हे बोल रही थी.
जोत- प्लीज़ विकी सर मुझे छोड़ दीजिए ये क्या कर रहे हो आप.
विकी-अरे मॅम आपकी इस जवानी को लूटने के लिए तो सारा कॉलेज मरा जा रहा है और आप चाहती है कि मैं हाथ आया ये सुनहेरा मौका गवा दू.
तभी विकी के टेबल पे रखा फोन बज उठा और विकी का दिल किया कि फोन को उठाकर बाहर फेंक दे. उसने एक हाथ से मज़बूती से जोत मॅम को अपनी गोद में बिठाए रखा और दूसरे हाथ से फोन उठाया.
विकी-हेलो.
लड़की-सर दो लड़कियाँ आई हैं हॉस्टिल की फीस जमा करने.
विकी का तो पूरा मूड ऑफ हो गया और उसने कहा.
विकी-ओके अंदर भेज दो उन्हे.
विकी ने जोत मॅम के गाल पे एक किस की और उन्हे आज़ाद कर दिया. जोत मॅम ने अपने कपड़े ठीक किए इतने में दो लड़कियों ने दरवाज़े पे दस्तक दी.
‘मे आइ कम इन सर’
विकी-यस कम इन.
वो दोनो लड़कियाँ अंदर आ गई. विकी तो उनको देखता ही रह गया दोनो एक दूसरी से बढ़कर खूबसूरत थी. एक लड़की ने चुरिदार पहन रखा था और उसका शरीर चुरिदार में ऐसा लग रहा था जैसे मुश्क़िल से फसा रखा हो. कमाल का फिगर था उसका 34-28-34 का और दूसरी लड़की ने जीन्स-टॉप पहन रखा था और वो भी कमाल की खूबसूरत थी. उसका चंचल सा चेहरा ही बताता था की वो बहुत नॉटी लड़की है. उसका शरीर पूरा फिट था और उसका फिगर 32-28-34 का था और दिखने में बहुत सुंदर थी. वो दोनो आगे बढ़ी तो उनमे से जिसने चुरिदार पहना था वो बोली.
‘सर हम हॉस्टिल के लिए फीस जमा करवाने और अपना रूम नंबर. पता करने आए थे’
विकी-ओके फीस दो और अपना नाम बताओ.
जिसने जीन्स पहनी थी वो बोली.
‘जी मेरा नाम प्राची है’
विकी ने उसकी तरफ देखा और फिर निगाहें दूसरी लड़की की तरफ की.
‘जी मेरा नाम नवरीत कौर’
विकी-ओके यहाँ साइन करो और तुम्हारा रूम नंबर. है 202.
उन दोनो ने फीस जमा करवाई और साइन कर दिए.
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रीत- थॅंक यू सर.
विकी- ओके यू गो.
जोत मॅम तो पहले ही वहाँ से निकल चुकी थी. और अब रीत और प्राची भी वहाँ से निकली और हॉस्टिल की तरफ चल पड़ी.
प्राची-रीत दीदी ये बॅग बहुत भारी है.
रीत-चुप चाप चलती रह बस रूम तक ही जाना है अब काम चोर कहीं की.
प्राची-मुझसे नही उठाया जा रहा.
और उसकी नज़र एक चश्मा लगाए बैठे लड़के पे पड़ी. उसने रीत को आवाज़ दी.
प्राची-रीत दीदी रूको मैं अभी इंतज़ाम करती हूँ.
और उसने उस लड़के को आवाज़ दी.
प्राची- हाई मिस्टर इधर आओ.
वो लड़का उठ कर आया और बोला ‘जी कहिए’
प्राची-कहिए क्या मुझे नही पहचाना मैं तुम्हारी सीनियर हूँ.
लड़का उसकी तरफ देखता रहा और बोला ‘जी कहिए’
प्राची-रेगिंग का नाम सुना है ना.
वो लड़का थोड़ा घबरा गया और बोला ‘जी सुना है’
प्राची-तो वोही रेगिंग तुम्हारी होने वाली है.
वो लड़का बिल्कुल डर गया.
प्राची-ये बॅग उठाओ और हॉस्टिल के रूम नंबर. 202 में पहुचा दो. रीत दीदी अपना बॅग भी दो.
रीत उसकी बातें सुन कर मुस्कुरा रही थी. प्राची हमेशा ऐसी हरकतें करती रहती थी. रीत तो उसे अच्छी तरह से जानती थी क्योंकि वो दोनो एक ही गाओं से थी. रीत ने प्राची का कान पकड़ते हुए कहा.
रीत-सीधी होकर अपना बॅग उठा ले. और उस लड़के को बता दिया कि ये तो खुद 1स्ट एअर की स्टूडेंट है और प्राची को उस से सॉरी माँगने का कहा.
प्राची ने उसे सॉरी बोला और बॅग उठाकर रीत के साथ चल पड़ी.
प्राची-क्या रीत दीदी कितना अछा प्लान तैयार किया था मैने आपने सब चौपट कर दिया.
रीत मुस्कुरात हुई बोली.
रीत-एक बॅग का बोझ नही उठा सकती तू ज़िंदगी का बोझ क्या उठाएगी तू.
प्राची-आप जो हो बोझ उठाने के लिए मुझे क्या ज़रूरत है. वैसे भी अगर इंसान के पास दिमाग़ हो तो वो सारे बोझ आसानी से उठा लेता है.
और ऐसे ही बातें करते करते वो दोनो रूम में पहुच गयी.
रीत और प्राची हॉस्टिल में पहुच गई. बाहर लगे नोटीस बोर्ड पे वो अपने रूम की लोकेशन ढूँडने लगी.
प्राची को रूम नंबर. 202 लिखा दिखाई दिया और उसके सामने 4 नाम लिखे थे उन्हे देखते ही प्राची बोली.
प्राची-रीत दीदी हमारे साथ 2 और लड़कियाँ भी हमारी रूम मेट्स होंगी.
रीत-तो क्या हुआ हॉस्टिल में ऐसे ही अड्जस्ट करना पड़ता है.
उन्होने बाहर खड़े गार्ड से रूम की चाबी ली और रूम की तरफ चल पड़ी.
वो दोनो रूम में पहुचि और उसके अंदर एंटर किया. कमरा ना तो ज़्यादा बड़ा था और ना ही छोटा. लेकिन 4 लोग आसानी से रह सकते थे उसमे.
प्राची-दीदी क्या इतने से कमरे में हम 4 गर्ल्स रहेंगी.
रीत-बिल्कुल.
प्राची-धत्त तेरे की.
रीत-ज़्यादा बक बक मत कर ये हमारा घर नही है जो तू एक रूम में अकेली सोएगी. मैने पहले भी कहा था यहाँ पे अड्जस्ट करना पड़ेगा. में वॉशरूम में जा रही हूँ फ्रेश होने अगर वो दोनो लड़कियाँ आयें तो उनके साथ कोई शरारत मत करना.
प्राची-ओके दीदी आप जाओ मैं उतनी देर आराम करती हूँ इस बेड पे.
और वो धडाम से बेड के उपर गिर गई.
रीत ने कपड़े लिए और वॉशरूम में घुस गई.
रीत को नहाने गये हुए कुछ ही वक़्त बीता होगा कि दरवाज़े पे किसी ने नॉक किया. प्राची एकदम बेड पे से उठी और उसने सोचा कि ज़रूर ये उनकी रूम मेट्स होंगी. उसके दिमाग़ में एक शरारत सूझी. अक्सर उसका दिमाग़ ऐसी हरकतों के लिए तेज़ चलता था.
उसने उन्दोनो की हालत भी पतली करने की सोची.
वो आगे बढ़ी और दरवाज़ा खोला तो सामने 2 लड़कियाँ बॅग लेकर खड़ी थी. दोनो ने सलवार कमीज़ पहना था और दोनो रीत और प्राची की तरह खूबसूरत थी. प्राची ने उन्हे एक बार उपर से नीचे तक देखा और फिर झुक कर उन्हे आदाब करती हुई बोली.
प्राची-आइए मेडम आप का ही इंतेज़ार हो रहा था.
वो दोनो अंदर आई और उनमे से एक बोली.
‘जी हमारा इंतेज़ार वो क्यूँ’
प्राची डरावनी सी हँसी हँसी और बोली.
प्राची-मेडम जी सीनियर’स को अपने जूनियर’स का इंतेज़ार नही होगा तो किसका होगा.
उनके चेहरे के भाव थोड़े बदल गये और फिर से वोही लड़की बोली ‘पर आप हमारा इंतेज़ार क्यूँ करेंगी’
प्राची सामने रखी एक चेर पे बैठ गई और बोली.
प्राची-अरे यार मैं तो बे-सबरी से इंतेज़ार कर रही थी कि आप आओ और हम आप की रॅगिंग कर सके.
रॅगिंग का नाम सुनते ही उनके होश उड़ गये.
प्राची-तो सबसे पहले अपना नाम बताओ.
उनमे से एक लड़की जो की थोड़ी लंबे कद की थी वो बोली ‘जी मेरा नाम करुणा है’
प्राची-अरे मेडम पूरा नाम नही रखा मा बाप ने.
करुणा-जी करुणा गुप्ता.
प्राची-ओके और मेडम आपका.
‘जी मेरा नाम नीतू वेर्मा है’
प्राची-गुड और ये बॅग में क्या है.
नीतू-जी हमारे कपड़े हैं.
प्राची-चेक कर्वाओ. वैसे भी तुम्हारे जैसी भोली शकल की लड़कियाँ आज कल बॅग में बॉम्ब लिए फिरती होती है.
नीतू ने बॅग प्राची की तरफ बढ़ा दिया और प्राची उसे खोल कर उसके कपड़े देखने लगी और उनमे से एक रेड कलर की ब्रा और पैंटी निकाल ली.
प्राची-लो मेडम इन्हे पकडो और अपने कपड़ो के उपर से इन्हे पहनो.
नीतू की हालत तो बिल्कुल पतली हो गई.
नीतू-ये आप क्या बोल रही हैं.
प्राची-नहाते वक़्त कान सॉफ नही करती क्या जो तुम्हे समझ नही आई मेरी बात.
नीतू का चेहरा देखने लायक था और तो और उसकी आँखों में से आँसू तक निकल आए.
नीतू की आँखों में आँसू देखकर एक दफ़ा तो प्राची ने सोचा कि अब रहने दूं पर फिर उसने सोचा रीत दीदी के आने तक तो मज़ा किया जाए.
नीतू ने एक एक करके अपनी दोनो टाँगें उठाई और पैंटी अपनी सलवार के उपर से ही पहन ली. उसने सफेद सलवार कमीज़ पहना था और उसके उपर रेड पैंटी देखकर प्राची को तो हसी आ रही थी मगर वो उसे रोके हुए थी. फिर नीतू ने अपनी चुनी उतारी और ब्रा भी पहन ली और करुणा को ब्रा के हुक लगाने को कहा. करुणा ने हुक लगा दिए और सहमी सी खड़ी हो गई वो सोच रही थी कि अब मेरे साथ क्या होगा.
नीतू को ऐसी हालत में देख प्राची ज़ोर से हँसने लगी और बोली.
प्राची-वाह आप तो एक दम मस्त लग रही हो ऐसे ही ब्रा और पैंटी लगाकर जाया करो कहीं भी. एक अलग फॅशन चल पड़ेगा देखना और उसका सारा क्रेडिट तुम्हे ही जाएगा.
प्राची ने अपना मोबाइल. उठाया और उसकी एक फोटो ले ली.
तभी रीत वॉशरूम से निकली और सामने नीतू के पहने हुए कपड़े देखकर हँसने लगी और बोली.
रीत-अरे ये कैसी ड्रेस पहनी है आपने.
नीतू-जी इन्होने बोला पहन ने को.
रीत की हसी एकदम से गायब हो गई और वो सारी बात समझ गई और प्राची की तरफ गुस्से से देखते हुए बोली.
रीत-ये सब क्या है कुत्ति.
प्राची अपना सिर खूज़ाती हुई बोली.
प्राची-वो दीदी……बस ऐसे ही…….मैं तो….
रीत-चुप कर मैं तो की बच्ची चल उठ और सॉरी बोल इनको.
प्राची उठी और नीतू और करुणा के सामने जाकर खड़ी हो गई और कान पकड़ कर बोली.
प्राची-सॉरी करुणा दीदी और सॉरी नीतू दीदी मैं तो आपसे मज़ाक कर रही थी मुझे माफ़ कर दो प्लीज़ मैं तो खुद जूनियर हूँ. और उसने पहले नीतू को गले लगाया और उसकी गाल पे किस की और फिर करुणा के. जब वो ऐसे ही किस करने के लिए रीत की तरफ मूडी तो रीत ने उसे थप्पड़ दिखाया और प्राची मुस्कुराती हुई जाकर अपने बॅग में से कपड़े निकालने लगी और तेज़ कदमो के साथ वॉशरूम में घुस गई.
उसके जाने के बाद रीत बोली.
रीत-प्लीज़ इसे माफ़ कर देना ये बस ऐसी ही है हर वक़्त इसे शरारत सूझती रहती है.
करुणा और नीतू को अब थोड़ा सकून मिला.
(अब जाकर करुणा और नीतू को थोड़ा सकून मिला)
करुणा-कुछ भी हो ये लड़की है बहुत क्यूट.
रीत-ये तो है वैसे इसका नेम प्राची है पर मैं इसे प्यार से कूटी ही बुलाती हूँ.
फिर रीत ने नीतू की तरफ देखा और मुस्कुरा कर बोली.
रीत-अरे पगली अब तो अपने ये वस्त्र उतार दे ऐसे ही खड़ी है.
फिर वो तीनो हँसने लगी और नीतू ने अपनी ब्रा और पैंटी उतार कर बॅग में डाल दी.
प्राची भी नहा कर फ्रेश हो गई और फिर करुणा और नीतू भी फ्रेश होकर अपना समान सेट करने लगी. कमरे में 4 अलमारी बनी हुई थी उन्होने अपने अपने कपड़े अलमारी’स में सेट कर दिए.
अब उन्हे अपने सोने के लिए बेड सेट्टिंग करनी थी. पूरे रूम में 4 बेड थे मतलब हर एक का अलग अलग बेड था. रीत प्राची को देखती हुई बोली.
रीत-कूटी बता तू अपना बेड कहाँ सेट करना चाहती है क्योंकि सब से ज़्यादा प्रॉब्लम तू ही क्रियेट करने वाली है.
प्राची-अरे मैं रीत दीदी के पास ही अपना बिस्तेर रखूँगी. दीदी हम ऐसा करते हैं कि इस कॉर्नर में हम अपने बेड लगा लेते है और दूसरे कॉर्नर में करुणा दीदी और नीतू अपना बेड सेट कर लेंगी. क्यू करुणा दीदी सही कहा ना मैने.
प्राची ने दोनो कॉर्नर’स में इशारा करते हुए कहा.
रीत-पहली बार तूने अकल्मंदी की बात की.
वो सब हँसने लगे और सब ने मिलकर बेड सेट्टिंग करते हुए सोने का इंतज़ाम कर लिया. सब काम निपटा कर प्राची बोली.
प्राची-मुझे अब भूख लग रही है कब से पेट में चूहे छलांगे लगाते फिर रहे हैं.
रीत-भूख तो हमे भी लग रही है चलो पहले सब खाना खाकर आते है.
वो सब हॉस्टिल की कॅंटीन में खाना खाने गयी और फिर आकर अपने रूम में आराम करने लगी. अब रूम में सारा समान सेट हो चुका था. और वो चारो बैठकर बातें कर रही थी.
रीत-रूम सेट्टिंग के चक्कर में तो हम ने एक दूसरे के बारे में भी कुछ नही जाना. पहले मैं ही बता देती हूँ. ये है प्राची और मैं नवरीत हम दोनो का गाओं एक ही है और हमने साथ साथ ही स्कूल की स्टडी कंप्लीट की है और अब साथ साथ यहाँ पे आई हैं.
प्राची-और सबसे बड़ी बात मैं अपनी रीत दीदी को बहुत प्यार करती हूँ और दीदी भी मुझसे बहुत प्यार करती हैं भले हम सग़ी बहने नही है मगर सग़ी से कम भी नही.
रीत-बिल्कुल कूटी सही कहा तुमने. मैं हमेशा इसे कूटी ही बुलाती हूँ और ये मुझे दीदी ही बुलाती है क्योंकि मैं इस से एक साल बड़ी हूँ. मैं 21य्र्स की हूँ और ये 20 की है.
करुणा और नीतू ध्यान से उनकी बातें सुन रही थी और जब वो चुप हुई तो करुणा बोली.
करुणा-आप दोनो को तो अपने प्यार के बारे में बताने की ज़रूरत नही है वो तो दिख ही रहा है. जहाँ तक मेरी बात है तो मैं हरियाणा के एक गाओं से हूँ और वही से अपनी पिछली स्टडी कंप्लीट की है. और अब यहाँ पे आपके साथ आ गई हूँ और मेरी एज भी रीत आपके जितनी ही है मतलब अब ये प्राची मुझे भी दीदी बुलाएगी.
प्राची-बिल्कुल करुणा दीदी. और आप नीतू मेडम आप भी बताओ कुछ या फिर फिर से रॅगिंग शुरू करू.
नीतू ने उसकी पीठ पे एक थप्पड़ मारा और बोली.
नीतू-अब मैं तुम्हारी बातों में नही आने वाली बड़ी आई सीनियर.
वो सब हँसने लगे और फिर नीतू ने अपनी बात शुरू की.
नीतू-मैं देल्ही से हूँ और स्कूल की स्टडी वही एक स्कूल में पूरी की और अब यहाँ चंडीगढ़ आई हूँ नयी शुरुआत के लिए और यहाँ पे आपका साथ पाकर मुझे बेहद खुशी हो रही है. यहाँ तक एज का सवाल है तो मैं भी प्राची की एज यानी कि 20साल की हूँ अब इसके साथ तो मेरी खूब दाल गलेगी और आप दोनो को मैं इस कूटी की तरह दीदी ही बुलाउन्गि.
रीत-ज़रूर नीतू मैं तो खुश हूँ कि मुझे एक और छोटी सिस्टर मिल गई. और तुम दोनो को संभालने के लिए एक दीदी करुणा. ये कूटी तो मुझे दिन भर परेशान करती रहती है अब तो मैं और करुणा मिलकर इसे अच्छे से ठीक करेंगी.
प्राची-मुझे ठीक करने के सपने मत देखो दीदी आप कहीं मैं और नीतू मिलकर आप को ही ना बिगाड़ दें.
रीत-बस बस बड़ी आई बिगड़ने वाली चलो अब रात बहुत हो गई है मुझे तो नींद आ रही है.
करुणा-हां रीत नींद तो मुझे भी आ रही है.
रीत-चल कूटी उठ अब बिस्तेर पे चल सुबह उठ कर कॉलेज भी जाना है जल्दी सो जा नही तो मुझे ही पता है कि तुम्हे सुबह उठाने के लिए कितना कष्ट उठाना पड़ेगा.
प्राची-अच्छा दीदी आप देखना मैं सबसे पहले रेडी हो जाउन्गि उठ कर.
रीत-देखूँगी जब रेडी हो जाओगी अब चुप चाप सो जा वैसे भी सारा दिन काम करने की वजह से थक गई हूँ मैं तो.
और रीत ने करुणा को लाइट ऑफ करने को कहा और करुणा ने लाइट ऑफ की और वो चारों अपनी आज से शुरू हुई नयी लाइफ के बारे में सोचती हुई नींद के आगोश में खो गई.
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