आकांक्षा की चुदाई | Hindi Sex Kahani
- By : Admin
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मेरा नाम आकांक्षा है।
यह मेरे साथ बीती हुई वो घटना है जिसका जिक्र मैं नहीं कर पा रही थी और अपने मन में नहीं रख पा रही थी। पर भला हो राज जी का, जिन्होंने मेरी कहानी को अपने शब्द में मेरी इस घटना को पिरोया है, जिसकी वजह से मैं अपनी यह घटना आप लोगों तक पहुँचा पा रही हूँ। कहानी शुरू करने से पहले मैं आप सभी से माफी इसलिये मांगती हूँ क्योंकि मैंने इस कहानी में खूब खुल कर जिस्म के अंगों के नाम लिये हैं ताकि आप लोग जब कहानी पढ़ें तो कहानी का मजा खुल कर लें।
मेरी कहानी मेरी कॉलेज लाईफ से शुरू हो जाती है। मेरा Boy Friend जिसका नाम रितेश है, जो बाद में मेरे जीवन का हमसफर भी बना। शुरू शुरू में जब हमने कॉलेज ज्वाईन किया तो केवल हम दोनों क्लास मेट ही थे। वो पढ़ने में भी बहुत अच्छा था, इसलिये मेरी उससे दोस्ती भी हो गई। हमने पढ़ाई में ही तीन समेस्टर निकाल दिये। वो मेरी बहुत हेल्प करता, लेकिन कॉलेज टाईम में ही… न तो उसने कभी मेरे घर आने की कोशिश की और न ही उसने मुझे अपने घर बुलाया। हाँ… उसमें एक अजीब आदत थी, वो यह कि जब कभी भी मैं उसके पास किसी प्रॉब्लम को लेकर जाती तो वो मेरी प्रॉब्लम सोल्व तो करता लेकिन बीच-बीच में मेरे उरोजों में झाँकने की कोशिश जरूर करता और मेरे उरोजों की गहराइयों को मापने की कोशिश करता। शुरू में तो मुझे बड़ा अजीब से लगता पर बाद में उसकी इस हरकत का असर होना ही बंद हो गया।
हम दोनों लोकल ही थे। अरे हाँ… मैं तो अपना पूरा परिचय देना तो भूल ही गई। मेरा नाम आकांक्षा है, मैं लखनऊ की रहने वाली हूँ, पाँच फुट पाँच इंच लम्बी हूँ। मेरे यौवन के दिनों का फिगर 28-30-28 था। न तो मेरी छाती ही ठीक से विकसित हुई थी और न ही मेरे शरीर का दूसरा अंग। मैं बहुत दुबली पतली थी फिर भी कॉलेज के लड़के मुझे लाईन मारने से नहीं चूकते थे। कामेन्ट तो ये होते थे कि एक बार मिल जाये तो इसकी चूची दबा-दबा कर बड़ी कर दूँ तो ये और मस्त माल लगेगी। शुरू में मुझे बहुत बुरा लगता था और रोना भी आता था। लेकिन धीरे-धीरे आदत होती गई और कभी-कभी लड़को की कमेन्ट सुनकर जब मैं घर पहुँचती थी तो शीशे के सामने नंगी खड़ी हो जाती थी और अपने छोटे छोटे लटके हुए अपने उरोजों को निहारती और अपने हाथों से दबाने की कोशिश करती। खैर अब मैं तो शादीशुदा हूँ और मेरे उरोज भी काफी बड़े, सुडौल और आकर्षक हो गये हैं।
बात चौथे समेस्टर की है, एक प्रोजेक्ट मिला था, वो मुझसे पूरा नहीं हो पा रहा था और रितेश कॉलेज से समय नहीं दे पा रहा था। कई दिन टल जाने के बाद एक दिन मैंने मन में ठान लिया कि रितेश के घर पर ही प्रोजेक्ट पूरा करूँगी। ऐसा सोचते ही मैं एक दिन रितेश के घर दोपहर में पहुँची तो उसकी माँ ने दरवाजा खोला। नमस्ते करने के बाद उन्होंने मुझे दूर से ही रितेश का कमरा दिखा दिया। उस समय शायद रितेश की माँ के अतिरिक्त घर में कोई नहीं था। मैं सीढ़ियों से चढ़कर रितेश के कमरे की तरफ बढ़ रही थी, कमरे के पास पहुँच कर मैं ठिठकी। रितेश के कमरे का परदा हिल रहा था और उस परदे के हिलने से बीच-बीच में अन्दर क्या हो रहा है, दिखाई पड़ रहा था। उसी बीच मैंने देखा कि रितेश कान में ईयर फोन लगा कर बिल्कुल नंगा बैठा है और अपने अंगूठे से अपने लंड के अग्र भाग के ऊपर चलाता और फिर उंगली को अपनी जीभ से चाटता। मैं एकदम शॉक्ड हो गई रितेश का यह रूप देख कर…
मैं थोड़ी देर खड़ी रही और रितेश को देखती रही। रितेश की हरकत और नंगा बदन देख कर मेरे शरीर में हल्की से अकड़न होने लगी और मुझे लगा कि मेरे शरीर से कुछ निकल रहा है। स्वत: ही मेरे हाथ मेरे नाजुक अंग पर चले गये और मुझे कुछ गीलापन सा लगा। उस समय मैंने सलवार सूट पहना हुआ था तो सलवार के ऊपर से ही उस नाजुक स्थान को साफ करने लगी। मेरा दिमाग में अब रितेश को नंगा देखने का खुमार चढ़ चुका था। मैंने थोड़े से परदे को हटाते हुए उसको आवाज लगाई और ऐसे कमरे में प्रवेश किया जैसे मैंने कुछ देखा ही नहीं हो। इस तरह अचानक मेरे अन्दर आने से रितेश हड़बड़ा गया और पास पड़ी हुई टॉवल को अपने नीचे के नंगे अंगों को छुपा लिया।
‘ओह… I am sorry… बोल कर मैं वापस जाने लगी तो
रितेश मुझे रोकते हुये बोला- कोई बात नहीं, अब अन्दर आ ही गई हो तो बैठो।
मैंने बैठते हुए पूछा- तुम नंगे बैठे हो कोई ऊपर नहीं आता क्या?
वह तौलिये को लपटते हुए खड़ा हुआ और दरवाजे को अन्दर से बन्द करते हुये बोला- शायद आज मैं दरवाजा बन्द करना भूल गया। तुम बताओ कैसे आना हुआ?
‘वही प्रोजेक्ट में तुम मेरी मदद करो।’
वो बोला- ओह…
फिर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुये बोला- तुम्हें भी मेरी मदद करनी होगी।
मैंने बिना कुछ सोचे उसे हाँ बोल दिया और पूछा- कैसी हेल्प करनी है?
तो उसने मुझसे पक्का वादा लेते हुए कहा- तुम इंकार नहीं करोगी?
मैं इन तीन समेस्टर में उसके इतने करीब आ चुकी थी कि मुझे उससे प्यार हो गया था और उसके लिये मैं सब कुछ कर सकती थी जो भी वो मुझसे चाहता इसलिये मेरे हाँ कहते ही
वो मुझसे बोला- तुम मुझसे प्यार करती हो?
मैं अचकचा गई और हकलाते हुए मैंने उससे हाँ बोल दिया। तो उसने खुश होते हुए मुझे कस कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया। यह मेरे जीवन का पहला क्षण था कि जब मैं किसी मर्द के बाँहो में इस तरह से जकड़ी हुई थी। थोड़ी देर वो मुझे अपनी बाँहों में जकड़ा रहा, फिर मुझे अपने से अलग करता हुआ मुझे कम्प्यूटर के पास बैठाया और एक चैट डॉयलॉग बाक्स को दिखाते हुए
बोला- जिससे मैं चैटिंग कर रहा हूँ, ये एक मेल और फीमेल हैं और दोनों मुझसे चैट तो कर रहे हैं लेकिन वेब कैम में नहीं आ रहे है। इनका कहना है कि अगर तुम्हारा कोई फीमेल पार्टनर हो तो ही वो दोनों वेब कैम में सामने आयेंगे। अगर तुम मेरी पार्टनर बन जाओ तो मजा आयेगा। फिर जैसा मैं बोलूँगा, वो दोनों करेंगे और फिर जो वो दोनों बोलेंगे हम दोनों को करना पड़ेगा।
मैंने थोड़ा सा मुंह बनाते हुए बोला- इसलिये तुम नंगे बैठे हो और चाहते हो कि मैं भी नंगी हो जाऊँ?
उसने मुस्कुराते हुये हाँ में सिर हिलाया।
उसकी इस बात से मेरी आँखों में आँसू आ गये। मेरी आँखों में आँसू आने के कारण वो मेरे आँसू को पौंछते हुए बोला- आकांक्षा, तुम परेशान मत हो… नहीं करना है तो मत करो। पर मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और समेसटर ओवर होने के बाद जैसे ही मुझे जॉब मिलेगी मेरी जीवन संगिनी तुम ही रहोगी। चाहे तुम इस समय मेरे साथ हो या न हो।
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