पड़ोसन की चुदाई रात भर बजायी :- पड़ोसन को चोदा
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- Category : Virgin Girl, Girlfriend ki Chudai, Hindi Sex Stories
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम विशाल मिश्रा है. मैं कानपुर उत्तरप्रदेश का निवासी हूं.
अगर मैं अपनी बात करूं तो मेरा रंग गोरा और शरीर साधारण है, लेकिन मेरे औजार का साइज साढ़े सात इंच से कम नहीं है.
जो भी लड़की एक बार मेरे औजार का स्वाद चख लेती है, उसका फिर मेरे औजार का दीवाना होना तय है.
लेकिन कई बार बडे औजार के कुछ नुकसान भी हो जाते हैं.
ऐसे में संभोग से कमजोर लड़कियां आपका बड़ा औजार एक बार तो कैसे भी करके ले लेंगी, पर दोबारा उनकी हिम्मत आपके मूसल को लेने की नहीं होगी.
यह मेरी सेक्सी पड़ोसन की चुदाई की कहानी है.
दीप्ति मेरे मोहल्ले की सबसे हॉट लड़की थी जिसे देखकर लड़कों के ही नहीं बल्कि अंकल्स के भी तंबू तन जाएं.
उसका बदन थोड़ी स्थूलता लिए हुए था या यूं कहें कि औसत से कुछ ज्यादा भरा हुआ था.
उसके दूध भी एकदम लाजवाब.
आपने अगर कभी गौर से जाह्न्वी कपूर के दूध देखे हों, तो आप ठीक वैसे ही दूध दीप्ति के भी मान लीजिए.
दीप्ति की गांड के तो क्या ही कहने थे दोस्तो!
गदराए बदन वाली लौंडिया की गांड का नशा क्या होता है, ये किसी मर्द से छिपा नहीं रहता है.
ठीक उसी तरह की गदरायी हुई गांड की मालकिन दीप्ति थी.
स्कूल के दिनों में वह मुझसे एक क्लास आगे थी.
उन दिनों मेरी उससे कभी नहीं बनी क्योंकि पूरे मोहल्ले में एक मैं ही था जो उसके रिकॉर्ड तोड़ पाता था.
चाहे वह अंग्रेजी विषय के हों या कला के … इसलिए वह हमेशा मुझसे छत्तीस का आंकड़ा बना कर रखती थी.
इधर मैं आप सबको यह भी बताता चलूं कि आपका भाई अंग्रेजी विषय में सिर्फ क्लास का ही नहीं, बल्कि स्कूल का भी टॉपर था और खाली समय में चित्र बनाना मेरा शौक था.
मुझे चित्र बनाते बनाते कई बार रात के दो भी बज जाते थे.
खैर … समय कटता गया.
हम दोनों स्कूल छोड़ कर कॉलेज में आ गए.
अब मेरी दीप्ति से थोड़ी थोड़ी बनने लगी थी पर मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इसकी चूत का बाजा भी बजा पाउंगा.
कुछ साल पहले मेरे और उसके संबंध जो कभी अमेरिका और रूस जैसे थे, वह अब धीरे धीरे अमेरिका और जापान के संबंधों की तरह होने लगे थे.
समय के साथ आई गंभीरता अब हमें करीब लाने लगी थी.
व्हाट्सैप, फेसबुक, इंस्टाग्राम की वजह से नजदीकियों में लगातार इजाफा दर्ज हो रहा था.
मैंने उसका एक बेहतरीन चित्र बना कर उसे दिया तो वह मुझसे बेहद प्रभावित हो गई थी.
बस सही मायने में हमारे बीच की बर्फ पिघलने लगी थी.
दीप्ति को अब कोई भी प्राब्लम होती तो वह सीधे मुझसे कहती.
जैसे टेलीग्राम पर कोई मूवी भेजनी हो, इंस्टाग्राम पर कोई प्राब्लम आ गई हो आदि आदि.
मैं उसे टेलीग्राम पर मूवी भेजता और वह मुझे.
धीरे धीरे हम दोनों खुल कर बातें करने लगे.
कभी मोहल्ले की किसी लड़की की बात हो या किसी नई नवेली भाभी या आंटी की, हम दोनों शाम को व्हाट्सैप पर उनके मजे लेते.
ये मजा कब कामुकता का रूप ले लेता, हम दोनों में से किसी को पता ही ना चल पाता.
ऐसे ही सिलसिला चलता रहा.
फिर वह दिन भी आने को हुआ, जब मुझे उसकी चूत मारने का अवसर मिलने वाला था.
एक दिन मैंने उसे टेलीग्राम पर एक पोर्न वीडियो शेयर कर दिया.
जैसे कि मैं आपको पहले ही बता चुका हूं कि मैं उसे टेलीग्राम पर मूवीज भेजता रहता था, तो इस बार भी मैंने उसे बेहिचक लिंक शेयर कर दिया.
उसने फिल्म को देख तो लिया, ब्लू-टिक से मैं समझ गया … पर उसका कोई रिप्लाई नहीं आया.
इसी वजह से अब मेरी फट के चार हो रही थी.
मैं चुपचाप फोन रख कर सो गया.
अगले दिन सुबह मैंने सबसे पहले टेलीग्राम खोला, तो दीप्ति का मैसेज था.
दीप्ति- अबे पागल … ये क्या भेज रहा है! कोई देख लिया तो दोनों मरेंगे!
उसके इस मैसेज से मैं समझ गया कि ये भी अपनी चूत बजवाने के लिए अब पूरी तरह तैयार है.
मैंने जवाब लिख दिया.
मैं- अरे तुमको भेजा है तो तुम ही देखोगी … कोई और क्यों देखेगा?
दीप्ति- ये भी सही है यार, पर ये बता ये सब भी मिलता है क्या टेलीग्राम पर?
मैं- अरे मिलता क्या नहीं है, बस ढूंढने वाला होना चाहिए. तुम्हें और देखना हो तो बताओ … और भेजूं!
दीप्ति- नहीं यार, किसी ने देख लिया तो बवाल हो जाएगा.
मैं- अरे कोई बवाल नहीं होगा तुम देख कर डिलीट कर देना!
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दीप्ति का कोई रिप्लाई नहीं आया.
मैंने दनादन तीन चार पोर्न क्लिप और भेज दिए.
रात को दीप्ति का जवाब आया- यार ये सब कैसे …!
मैं- क्या कैसे?
दीप्ति- अरे कुछ नहीं, जाने दे!
मैं- क्या जाने दूँ … बताओ तो क्या हुआ?
दोस्तो, लड़कियों का यहीं पर ‘शर्माना’ चालू होता है और लड़कों का ‘तेल लगाना!’
दीप्ति- यार ये सब कैसे कर लेती हैं … इनको प्राब्लम नहीं होती क्या?
मैं- शुरू में तो हो सकता है प्राब्लम हो, पर थोड़ी देर बाद तो परम आनन्द आता है!
दीप्ति- अच्छा, तुझे बड़ा पता है. कितनी बार लिया है तूने परम आनन्द?
मैं- मुझे कौन देगा परम आनन्द, मेरी तो कोई बंदी भी नहीं है.
दीप्ति- वाह रे झूठे … वाह, अब मुझसे भी झूठ बोलेगा!
मैं- अरे तुम्हारी कसम यार, कोई नहीं है मेरे पास … जो मुझे ये आनन्द दे!
दीप्ति- ओहो … सो सैड बॉस!
फिर मैंने बड़ी हिम्मत करके दीप्ति से कहा- दीप्ति, अगर तुम्हें कोई प्राब्लम ना हो तो तुम्हीं दे दो मुझे परम आनन्द!
इसके आगे मैंने स्माइली का इमोजी लगा दिया ताकि बात बिगड़े तो ज्यादा ना बिगड़े!
मेरा मैसेज उसने सीन करके छोड़ दिया.
उसके अगले दो दिन तक उसका कोई रिप्लाई नहीं आया.
मुझे भी लगा कि यार मैंने अपने चूतियापे के चलते एक अच्छा माल खो दिया, यह आज नहीं तो कल पट भी सकती थी.
इसी बात से अंतर्मन में ग्लानि की अनुभूति करता हुआ अब मैं दीप्ति से क्षमा याचना करने की योजना बनाने लगा … तथा इस याचना सहित सांयकाल में उसके समझ खुद को उपस्थित करने का निश्चय किया!
शाम को मैंने दीप्ति को मैसेज किया- सॉरी यार दीप्ति, मैंने बस ऐसे ही बोल दिया था. प्लीज तुम मेरी बात का बुरा ना मानना! आई एम रियली सॉरी दीप्ति!
दीप्ति ऑनलाइन नहीं थी, अतः मैं मैसेज करके सोने को हुआ.
करीब आधा घंटा बाद मैसेज टोन से मेरी आंख खुली.
दीप्ति का मैसेज था- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे ये सब बोलने की? अब देखो मैं क्या क्या करती हूं!
दोस्तो, यह मैसेज देख कर मेरी गांड फट कर फ्लावर हो गई थी.
मैंने तुरंत रिप्लाई किया.
मैं- सॉरी यार दीप्ति, गलती हो गई है मुझसे, प्लीज मुझे माफ कर दो. अब कभी ऐसा नहीं बोलूंगा, अब तुम चाहो तो मुझे ब्लॉक कर देना.
दीप्ति ने मेरा मैसेज सीन किया पर कोई रिप्लाई नहीं दिया.
मेरी अभी भी धुक धुक कर रही थी.
दो मिनट बाद उसका मैसेज आया- अबे पागल! कितना फट्टू है रे तू!
इसी के साथ में उसने हंसने के कई सारे इमोजी भेजे थे.
यह देख मेरी जान में जान आई- क्या यार … डरा दिया तुमने मुझे … जाओ मैं तुमसे नहीं बोलता!
दीप्ति- अरे सुन गुस्सा ना हो यार, अच्छा ये बता परम आनन्द तो मैं तुझे दे दूं, पर ये सब होगा कहां?
मैं- उसकी चिंता तुम मत करो, वह सब मैं मैनेज कर लूंगा!
उसके फाइनल सेमेस्टर और मेरे दूसरे सेमेस्टर के प्रैक्टिकल और फाइल वर्क चल रहा था तो कालेज आना जाना लगा ही रहता था.
मैंने उससे ओयो में चलने को कहा और पूरा प्लान बताया तो वह भी राजी हो गई!
प्लान ये था कि घर से प्रैक्टिकल के लिए निकलना था पर बाहर जाकर कुछ दूसरा ही प्रैक्टिकल होना था.
योजना के हिसाब से हम दोनों निकले.
मैंने उसे शहर के सबसे बाहर वाले ओयो में पहुंचने को कहा और लोकेशन शेयर कर दी!
मैं पहले ही रूम में पहुंच चुका था.
रूम को मैंने मिनी सुहागरात की थीम पर सजवाया था!
दीप्ति करीब पंद्रह मिनट बाद रूम में आ गई.
आते ही उसने बैग रखा और बेड पर बेबाकी से लेट गई.
कुछ समय बाद जब सब सामान्य हुआ तो वह उठी, और मुझसे बोली- क्यों बे चीकू, क्या प्लान है?
वह मुझे प्यार और शरारत से चीकू बुलाती थी.
मैं- प्लान वही है बस …
मेरे इतना कहते ही उसने कमरे की सारी लाइट्स बंद कर दीं.
उसे बहुत अच्छे से पता था कि मुझे अंधेरे कमरे में मद्धम रोशनी में कितना अच्छा लगता है.
लाइट बंद करके वह मेरे बगल में बेड पर बैठ गई.
मैंने हौले से उसके हाथ पकड़े और उसके करीब होने लगा.
आहा दोस्तों क्या गजब खुशबू थी.
वह हमेशा परफ्यूम लगाती थी पर आज मैंने पहली बार उसे इतने करीब से महसूस किया था.
मैंने उसे धीरे से बेड पर गिराया और उसके होंठों को चूमने लगा.
वह भी मेरा भरपूर साथ देने लगी.
कभी मेरी जीभ उसके मुँह में होती तो कभी उसकी जीभ मेरे मुँह में!
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यह सिलसिला लगभग दस मिनट चला.
फिर मैंने उसके टॉप को निकालना चाहा.
पर उसके गदराए बदन से उसे निकाल पाना मेरे लिए संभव नहीं था.
फिर दीप्ति ने अपने हाथ से अपना टॉप निकाला.
आए हाय दोस्तो … गोरे रंग पर काली ब्रा और उसमें कैद दो रसभरे कबूतर!
बिना देर किए मैंने उसके चूचों को आजाद कर दिया और उन पर भूखे शेर की तरह हमला बोल दिया.
वह मादक सिसकारियां भर रही थी- आह … चीकू साले आराम से … काट मत लगता है बे … आह आराम से आइई!
मेरे हमले से उसके दूध पूरे लाल हो गए और उन पर दांत से काटने के निशान बन गए.
मैंने धीरे से अब अपना हाथ उसके दूध छोड़ कर उसकी नाभि पर ले जाना चाहा.
उसने भी कुछ विरोध नहीं किया.
मैंने सीधे उसकी नाभि पर हल्ला बोल दिया.
वह भी मस्त सिसकारियां भर रही थी.
मैंने अब आराम से अपना दाहिना हाथ उसकी पैंटी की ओर बढ़ाया.
नीचे लैगी की ग्रिप के कारण इसमें थोड़ी प्राब्लम आ रही थी.
मेरी प्राब्लम को समझते ही उसने अपने दोनों पैर हवा में किए और मुझे उसे उतारने का इशारा करते हुए ‘हुंऊं …’ बोला.
मैंने देर ना करते हुए उसकी लैगी और पैंटी दोनों एक साथ खींच कर टाँगों से बाहर निकाल दीं.
आह … इसके बाद जो मंजर मेरे सामने था, उसका वर्णन शब्दों में कर पाना संभव नहीं है.
मेरे हिसाब से उसकी गुलाबी, छोटी और रसदार चूत को दुनिया का आठवां अजूबा घोषित कर देना चाहिए था.
मैंने हौले हौले उसकी गीली चूत पर जैसे अपना हाथ फिराया, उसकी जोर से सिसकारी निकल पड़ी ‘आइइइ … स्सस … प्लीज चीकू आराम से … सील पैक है!’
बहुत आराम से मैंने उसकी चूत को दो बार सहलाया, फिर अपनी जीभ उसकी चूत की ऊपरी सतह पर फिरा दी.
जीभ की खुरदुराहट से वह एकदम सिहर उठी और यह मेरे व उसके दोनों के लिए पहला ही अनुभव था.
मुझे हर कदम फूंक फूंक कर रखना था.
मैंने बहुत आराम से उसकी चूत की फांकों को खोला और अपनी जीभ संभव गहराई तक उतार दी.
उसकी तो मानो जान ही निकल गई हो, वह लगभग चीख पड़ी.
‘आह क्या कर रहा है यार आईई … ज्यादा अन्दर नहीं आईई!’
मैंने उसे थोड़ा सामान्य होने दिया … अगला मौका पाकर अपना काम फिर शुरू किया.
अब इस बार चूत चटवाने में उसे भी बहुत मजा आ रहा था.
वह नीचे से गांड उठा उठा कर मेरा सहयोग कर रही थी.
अब तक मेरे लंड का बुरा हाल हो चुका था.
मैंने उसकी चूत को छोड़ा और दीप्ति से अपना औजार निकालने को कहा.
दीप्ति उठी और नीचे बैठ कर मेरी पैंट को नीचे खिसकाने लगी.
पैंट खिसकते ही जैसे ही उसने मेरा औजार देखा, उसकी आंखें खुली की खुली रह गईं.
वह मेरी पैंट को छोड़ उठ खड़ी हुई और बोली- अबे इतना बड़ा लंड … ये कैसे जाएगा मेरी चूत में!
उसके मुँह से लंड और चूत शब्द सुनकर मेरे लंड महाशय ने एकदम से हुंकार भरी.
वह लंड को उठक बैठक करते देख कर सहम गई.
मैंने उसे मनाया और विश्वास दिलाया- सब होगा और आराम से होगा, बस तुम जल्दी से इसे अपने मुँह में लो!
मैंने उसे मना तो लिया था पर मुझे भी पता था कि आज इसकी चूत का भर्ता का बनने का दिन आ गया है.
कुछ ही देर बाद मेरा लंड बार बार उसके गले की गहराई को नाप रहा था.
अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था.
मैंने उसे ऊपर आने को कहा.
तो वह हॉट GF सेक्स के लिए झट से ऊपर आ गई.
मैंने उसको पीठ के बल लिटाया तथा एक तकिया उसकी गांड के नीचे लगा दिया.
अब बारी थी लंड के आक्रमण की!
मैंने अपने लंड को उसकी चूत के पास पहुंचाया और उसकी फांकों पर सुपारे को रगड़ने लगा.
दीप्ति के मुँह से बस एक ही बात निकल रही थी- प्लीज चीकू आराम से करना, प्लीज चीकू आराम से करना! बहुत बड़ा है तुम्हारा!
मैंने पहले दो उंगलियों से चूत का मुआयना किया.
चूत हद से ज्यादा टाइट थी, पर अच्छी बात ये थी कि चूत के रसीले पानी ने रास्ता आसान कर दिया था.
मैंने बहुत आराम से अपने टोपे को उसकी चूत में उतारा ही था कि वह चीख पड़ी- आईईई उई ईईई … मर गई साले … प्लीज रूक जा चीकू … प्लीज मान जा तुझे मेरी कसम … प्लीज यार … आईईई … आआह आउच!
उसकी आंखें आंसुओं की धार छोड़ चुकी थी.
मैंने तुरंत अपना लंड बाहर निकाला.
बस अभी जरा सा ही लंड गया था, तब उसका ये हाल था!
अभी अगर मैं अपना आधा लंड उतार देता, तो आप सोच सकते हो!
मैंने उसे समझाया कि पहली बार में थोड़ा दर्द तो होगा ही, लेकिन जैसे-जैसे आगे करोगी …. चीजें आसान होती जाएंगी.
काफी देर तक उसे समझाने के बाद वह फिर से लंड अन्दर करवाने को राजी हुई.
अब मैंने बिना देर करते हुए पोजीशन ली और फिर से अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ दिया.
उसने बिस्तर पर फैले चादर को मुठ्ठी भर कर पकड़ लिया.
मैंने अब बेहद आराम से उसकी चूत में अपने लंड को आधे से भी कम उतारा.
वह दर्द की वजह से पागल हो रही थी पर मैंने हल्के हल्के धक्के जारी रखे.
कुछ देर बार जब उसकी सिसकारियां, मादकता को प्राप्त करने लगीं, तब मैंने पू़छा- मजा आया बेबी?
दीप्ति- हां यार अभी थोड़ा सही लग रहा है!
मैंने आराम आराम से अपना लंड और अन्दर धकेलना चालू किया.
थोड़ी देर में ही मेरा लगभग पूरा लंड उसकी चूत की गहराई नाप रहा था.
उस वक्त उसका चेहरा पसीने से तरबतर और पूरा लाल हो रहा था.
मैंने अपनी स्पीड दस से बीस करी तो वह थोड़ा सिसकती हुई बोली- आराम से चीकू … मर गई आईईई … बहुत तेज लग रहा है यार … एक बार निकाल इसे … बहुत बड़ा है तेरा … आउच बहुत दर्द हो रहा है!
मैंने उसकी बात अनसुनी की और अपने धक्के जारी रखे.
अब मुझे लगा कि वह भी मजे लेने लगी है तो मैंने उसकी टांगें जो अभी तक मैंने अपने कंधे पर ले रखी थीं, उनको नीचे छोड़ा और उसके ऊपर चढ़ गया.
फिर मैंने उसके होंठों के पास आकर धीरे से कहा- अब दोगुने मजे के लिए तैयार हो जा मेरी जान!
इतना कहते ही मैंने एक जोर का झटका दे दिया.
झटका लगते ही जैसे उसकी जान निकल गई.
वह बहुत तेज चीखने को हुई पर मेरे होंठ रास्ते में पहरा दे रहे थे.
मुझसे अपने होंठ छुड़ा कर वह लंड निकालने की विनती करने लगी.
मैंने भी अपना लंड आराम से निकाला.
तो पाया कि मेरा पूरा लंड खून से सन चुका था और उसकी छोटी गुलाबी चूत के परखच्चे उड़ चुके थे.
वह अपनी चूत पकड़ कर लगातार रोए जा रही थी.
मुझे उस पर दया आ गई, मैंने उसे तुरंत अपने सीने से लगा लिया और सर को सहलाने लगा.
एक हाथ से वह मुझे पकड़े थी और उसने दूसरा हाथ अपनी चूत पर लगा रखा था.
वह लगातार रोए जा रही थी, शायद मेरे आखिरी झटके ने उसकी सील को पूरा खोल दिया था.
अब बस मैंने उसके दर्द को नजरअंदाज किया और ताबड़तोड़ चुदाई चालू कर दी.
शुरू में तो वह गाली देने लगी थी- आई … रुक जा मादरचोद … आह लग रही है मेरी फट गई कमीने … आह.
पर जब मैं नहीं रुका तो उसकी यही आवाजें बदल गई थीं- आह चोद मेरी जान … उई मां … कितना मजा आ रहा है!
यह सब अगले बीस मिनट तक चलता रहा और हम दोनों ढेर हो गए.
आगे फिर हम दोनों ने क्या किया, यह मैं आपको अगली कहानी में बताऊंगा.
साथियो, यह मेरी पहली सेक्स कहानी थी, इसमें यदि कोई गलती हो गई हो तो मुझे क्षमा कीजिएगा और अपने कमेंट्स से मुझे जरूर बताएं.
मैं अपनी पड़ोसन की चुदाई कहानी पर आपके सुझावों और कमेंट्स का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं.
धन्यवाद दोस्तो!
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