ज्योति की ज्वाला और मेरे लंड का उबाला- Call Girl Chudai
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मेरे मकान मालिक की बेटी ज्योति हमारे कॉलोनी की शान थी, इसलिए नहीं की वो कोई पढ़ाकू लड़की थी या कोई स्पोर्ट्स वगेरह में थी बल्कि इसलिए क्यूंकि उस से सुन्दर लड़की पूरे कॉलोनी में नहीं थी।
ज्योति के वैसे तो कई अफेयर्स सुने थे लेकिन हर बार उसका खांटी बाप उसे वापस मार पीट कर ट्रैक पे ले ही आता था, मुझ पर भरोसा कर के ज्योति को उस ने इंग्लिश पढने भेज दिया था ताकि शादी से पहले कम से कम दसवी तो पास हो ही जाए।
एक दिन जब मैं इंग्लिश पढ़ा रहा था तो ज्योति का दिमाग पढाई में कम और इधर उधर की बातों में ज्यादा चल रहा था, मैंने उसे समझाया “तेरे पापा तेरा भला ही चाहते हैं इसलिए पढने में मन लगा ताकि तुझे आगे तकलीफ ना आए”।
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पापा का ज़िक्र आते ही वो रो पड़ी और बोली “पापा तो हमेशा मारते ही रहते हैं, इस बार तो मेरे साथ साथ मेरे बॉय फ्रेंड को भी मारा। बेचारा कॉलोनी छोड़ कर ही भाग गया है”।
मैंने कहा “रो मत, अभी ये उम्र नहीं है बॉय फ्रेंड वगेरह की तू अभी सिर्फ दसवीं में है” तो बोली “पहली बार थोड़ी दसवीं में हूँ, तीन बार फ़ैल हो चुकी हूँ वरना कॉलेज में होती। उम्र तो मेरी पूरी अट्ठारह की है”।
मैंने कहा “फिर भी कह रहा हूँ पढ़ ले ताकि तेरे पापा निश्चिन्त हो कर तेरा ब्याह कर दें” तो वो फिर बिलख कर बोली मुझे किसी ऐसे वैसे से शादी नहीं करनी, आप ही क्यूँ नहीं ले कर भाग जाते मुझे। हम दोनों प्यार से रहेंगे, वैसे भी मैं आपको बहुत पसंद करती हूँ”।
मैंने तुरंत उसके एक चपत लगाई और कहा “बेवक़ूफ़ लड़की मैं तेरे भले की बात कह रहा हूँ और तू है कि” वो गुस्से में उठ खड़ी हुई और बोली “ठीक है फिर आप यहाँ बैठ कर हिलाओ और मेरी शादी किसी चूतिये किराने वाले से हो जाएगी तब बैठ कर रो लेना”।
मैंने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया तो वो पैर पटकती हुई वहां से चली गई, मैंने उसके जाने के बाद सिगरेट सुलगा ली और सोचने लगा कि मैंने सही किया या खड़े लंड पर दंड खाया है। मैंने रात को जमकर दारू पी और सोचने लगा कि कल ज्योति आएगी भी या नहीं क्यूंकि उसके बोल उसका ख़याल उसकी बातें मेरे दिमाग में घूम रही थीं।
खैर अगला दिन भी हुआ और स्कूल के बाद ज्योति अपना बैग ले कर मेरे रूम पर चली आई, बेमन से सडा हुआ मुंह ले कर इंग्लिश की बुक और कॉपी खोल कर बैठ गई। मैंने ज्योति को समझाने के अंदाज़ में उसके सर पर हाथ फेरा और कहा “क्या हुआ, नाराज़ है मुझसे” तो वो भड़क कर बोली “नाराज़ होने वाली मैं हूँ ही कौन आपकी”।
मैं कुछ भी ना बोल पाया वो अब भी किताब को घूर रही थी, मैंने फिर उसे समझाया “देख मैं तुझे ले कर कहाँ जाऊँगा मैं खुद अभी बेरोजगार हूँ”। ज्योति समझने का नाम ही नहीं ले रही थी, वो चिल्ला कर बोली “तो अभी ले कर भागने को कह भी कौन रहा है, जब तक नहीं भाग सकते क्या प्यार भी नहीं करेंगे”।
मेरे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था मैं कुछ और बोलता उस से पहले ही ज्योति मेरे गोदी में आकर बैठ गई और बोली “क्या मैं आपको इतनी बुरी लगती हूँ की आप मुझे प्यार भी नहीं कर सकते” मैंने कहा “ऐसा नहीं है ज्योति बस डरता हूँ कहीं ये सब तेरे पापा को पता लग गया तो”।
वो हँसी और बोली “अरे डरपोक कुछ पता नहीं चलेगा, उन्हें आप पर तो अँधा विश्वास है और मैं भी तो सबके सामने आपको भैया कहती हूँ। बस इस बंद कमरे में हम दोनों एक दुसरे को जो कहें और जैसा चाहें करें”।
ज्योति की बातें अब मेरी समझ में आने लगी थी, ये तो साफ़ था की वो सेक्स की भूखी थी और उसे सिर्फ सेक्स चाहिए था जिस वो प्यार का नाम दे रही थी।
काफी देर तक वो मेरी गोद में बैठी थी तो उसके जिस्म की खुशबु और उसकी गांड के स्पर्श से मेरा लंड खड़ा होकर उसकी गांड पोक कर रहा था, उसने मेरी जाँघों के बीच में से हाथ ले जाकर मेरे लंड को छुआ तो वो और तन गया और जीन्स में फंसने लगा। मैंने अपना सर उसके कमाल के चूँचों के बीच टिका रखा था
और मैं उसकी खुशबु लेने में व्यस्त था की मेरी नज़र उसके भरे पूरे चूचों पर गई, जिन्हें मैंने ब्रा से तो आज़ाद कर दिया था लेकिन टॉप अभी भी वहीँ था। ज्योति ने मेरा हाथ अपने टॉप में नीचे से डाला और अपने चुचों पर रखवा दिया, मैं उसके चुचे सहला रहा था और वो मेरा लंड।
ज्योति मेरे लंड को ऐसे मसल रही थी जैसे आज तो रस निकाल कर ही मानेगी और मैं भी सुके नर्म मुलायम चुचों को ऐसे ही मसल रहा था। ज्योति ने मुझे कहा “आए लव यू, प्लीज़ मुझे खूब जी भर के प्यार करो ना” मैंने कहा “ज्योति डार्लिंग तेरी इस जवानी को कौन नहीं प्यार करना चाहेगा”
और ये कह कर मैंने उसे गोदी में उठा लिया और बेडरूम में ले गया। ज्योति बेड पर लेटी लेती मुस्कुराने लगी और उसकी ये अदा मुझे उसकी ओर खींचे चली जा रही थी,
मैंने ज्योति के टॉप को उतारा तो उसकी ब्रा पहले से खुली हुई दिखी, मैंने कहा “तो तू पहले से खोले बैठी है” ज्योति मुस्कुराई और बोली “हाँ टाइम वेस्ट नहीं होना चाहिए न”।
अब मैंने ज्योति की ब्रा हटाकर उसकी निप्प्ल्स को अपनी जीभ के टिप से सहलाना शुरू किया जिस से ज्योति जोर जोर से सिस्कारियां लेती हुई कहने लगी “इन्हें पी जाओ ना” तो मैंने कहा “ज़रूर पियूँगा मेरी रानी अभी रुक तो जा” और मैं फिर से अपनी जीभ की टिप से निप्प्ल्स को सहलाने लगा जो की तन कर बहुत सख्त हो गए थे।
ज्योति अपनी कमर उठा उठा कर सिस्कारियां ले रही थी और ये इशारा समझते ही मैंने उसकी कैपरी खिसका कर उसकी चूत में ऊँगली की जो कि अब गज़ब की गीली हो चुकी थी।
बस अब खेल शुरू हुआ मेरी जीभ का उसकी निप्प्ल्स और मेरी ऊँगली का उसकी नर्म रोएँदार छूट के साथ, ज्योति अब भी उछल उछल कर सिस्कारियां ले रही थी और एक जोर की आवाज़ के साथ वो झड़ गई और बोली “तुमने तो बिना लंड लगाए ही कमाल कर दिया”।
ज्योति तो झड़ चुकी थी लेकिन मैं तो वहीँ का वहीँ था वो नीचे मेरे लंड को चूम रही थी और मुझे लगी थी उसकी नर्म मुलायम चूत को चोदने की, सो मैंने उसे ऊपर उठाया और सीधे अपने लंड पर बिठा लिया। ज्योति की चूत दिखने में छोटी थी लेकिनद इतने लंड लेने के बाद बड़े लंड को लेने में एक्सपर्ट भी हो गई थी
सो एक ही बार में उसकी पनियाई हुई चूत में मेरा आठ इंच लम्बा हथियार खिसक के घुस गया और उसने उफ़ तक नहीं की। वो बस मुस्कुराते हुए मेरे लंड पर उठ बैठ कर रही थी।
एक बार तो मुझे बुरा लगा की क्या यार इसे तो असर ही नहीं हो रहा लेकिन जब वो जोर जोर से कूदने लगी तब उसकी आवाजें सुनने लायक थीं। ज्योति इतने जोर से मेरे लंड को अपनी चूत में ले कर कूद रही थी की एक बार और झड़ गई और मेरा लंड खड़ा ही रह गया।
मुझे लग गया था की ऐसे काम नहीं बनेगा सो मैंने उसे लोटस पोजीशन में अपनी गोदी में बिठाया और लंड को फिर से चूत में सेट कर के उसे अपनी चूत मेरे लंड पर ग्राइंड करने को कहा, इस बीच मैंने उसके चुचे भी दबा रहा था और उसके होठों को चूस भी रहा था।
अब मुझे लग रहा था की मेरा हो जाएगा इसलिए मैंने ज्योति की स्पीड तेज़ करने एक लिए अपनी एक ऊँगली उसकी गांड में पेल दी। ज्योति को दो तरफ़ा मज़ा आया तो उसकी ग्राइंडिंग भी तेज़ हो गई और फिर मैं और ज्योति एक साथ ही झड़ गए।
मेरा सारा माल उसकी चूत में चला गया, वो घबराई नहीं और बोली “तुम इतनी अच्छी तरह मुझे चोदोगे मुझे पता नहीं था, प्लीज़ अब मैं सिर्फ तुम्ही से चुदना चाहती हूँ” और ये कह कर वो मेरे ऊपर निढाल हो गई।
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