पति की कमी को पूरा करता गैर मर्द- Hindi Sex Stories
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रोज की तरह मैं सुबह जल्दी उठ गई थी जब मैं उठी तो मैंने बच्चों को उठाया और मैं बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करने लगी कुछ देर बाद मैं नाश्ता बनाने के लिए रसोई में चली गई। मेरे पति अभी तक उठे नहीं थे लेकिन जब वह उठे तो मैंने उन्हें कहा कि आप क्या बच्चों को आज उनकी स्कूल बस तक छोड़ देंगे।
हमारे घर के मेन गेट तक स्कूल बस आया करती थी मैंने बच्चों का टिफिन पैक किया और उन्होंने नाश्ता किया उसके बाद मेरे पति उनको छोड़ने के लिए हमारे कॉलोनी के मेन गेट तक चले गए। जब वह गए तो मैं अब साफ सफाई का काम करने लगी यह मेरी दिनचर्या का हिस्सा था हर रोज मैं सुबह जल्दी उठ जाती और उसके बाद घर का काम करती।
थोड़ी ही देर बाद मेरे पति बच्चों को छोड़कर वापस लौट चुके थे जब वह वापस लौटे तो मैंने उन्हें कहा कि आपने बच्चों को बस में बैठा दिया था वह कहने लगे हां मैंने उनको बस में बैठा दिया था।
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उन्होंने मुझे कहा ममता तुम जल्दी से मेरे लिए नाश्ता तैयार कर दो मैं भी अपने ऑफिस के लिए निकलता हूं मैंने उन्हें कहा नाश्ता तो तैयार ही है आप नहा लीजिए। मेरे पति अब नहाने के लिए चले गए थोड़ी देर बाद वह बाथरूम से बाहर निकले तो उस वक्त 8:30 बजे रहे थे अब वह नाश्ता कर रहे थे।
जब वह नाश्ता कर रहे थे तो उन्होंने मुझसे पूछा कि आज तो तुम अपनी सहेली के घर पर जाने वाली हो तो मैंने अपने पति से कहा हां मैं आज अपनी सहेली के घर जाऊंगी। वह कहने लगे तुम वापस कब लौटोगी मैंने उन्हें कहा मैं दोपहर तक वापस लौट आऊंगी क्योंकि उस वक्त बच्चे भी स्कूल से लौट आते हैं इसलिए मुझे भी घर लौटना था।
अब मेरे पति को मैंने टिफिन पैक कर के दे दिया और वह अपने ऑफिस के लिए निकल गए। मैं घर की साफ सफाई का काम भी कर चुकी थी मैं भी जल्दी से तैयार हो गई और मैंने जब घड़ी में समय देखा तो उस वक्त 10:00 बज रहे थे मेरा सारा काम खत्म हो चुका था और मैं अपनी सहेली के घर जाने के लिए तैयार हो रही थी।
करीब आधे घंटे बाद मैं जब अपनी सहेली के घर के लिए घर से निकली तो उसके घर पहुंचने में मुझे थोड़ा समय लग गया वह घर पर ही थी। मैं जैसे ही उसके घर पर पहुंची तो मैंने उसके घर की डोर बेल बजाई और उसने थोड़ी देर बाद दरवाजा खोला। जब उसने दरवाजा खोला तो वह मुझे देख कर खुश हो गई और कहने लगी ममता कितने दिनों बाद तुम मुझसे मिलने के लिए आ रही हो मैंने उसे कहा पहले मुझे अंदर तो आने दो वह कहने लगी कि ठीक है।
हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो मेरी सहेली रचना ने मुझसे कहा कि ममता क्या मैं तुम्हारे लिए चाय बना दूं मैंने उससे कहा हां रचना तुम मेरे लिए चाय बना दो। अब रचना रसोई में चली गई और वह मेरे लिए चाय बनाने लगी करीब 15 मिनट के बाद जब वह चाय लेकर आई तो हम दोनों चाय पीते पीते साथ में बात कर रहे थे।
रचना मुझे कहने लगी कि मैं तो आजकल बहुत ज्यादा खुश हूं मैंने उससे पूछा लेकिन तुम्हारी खुशी का क्या कारण है। वह मुझे कहने लगी कि मेरी खुशी का कारण कुछ और नहीं बस कल हमारी शादी को 12 वर्ष हो जाएंगे और मैं बहुत ही ज्यादा खुश हूं कि इतने समय हो जाने के बाद भी मेरा और मेरे पति का रिश्ता बहुत अच्छे से चल रहा है।
मैंने रचना से कहा चलो यह तो बहुत खुशी की बात है लेकिन तुम क्या आपनी शादी के 12 वर्ष पूरे हो जाने पर कोई पार्टी भी अरेंज कर रही हो या फिर तुम दोनों ही सेलिब्रेट करने वाले हो। रचना ने मुझे बताया कि हम लोग घूमने के लिए जयपुर जा रहे हैं मैंने रचना से कहा चलो यह तो बहुत खुशी की बात है कि तुम लोग जयपुर जा रहे हो।
रचना जयपुर में ही पढ़ती थी और वहीं उसकी और उसके पति की मुलाकात हुई थी उन दोनों की मुलाकात आगे बढ़ने लगी और उन दोनों के बीच प्यार हो गया और फिर दोनों ने शादी करने का निर्णय किया और उन दोनों ने शादी कर ली। रचना अपने शादीशुदा जीवन से बहुत ही खुश है रचना के साथ मुझे पता ही नहीं चला कि कब समय हो गया,
मैं रचना को कहने लगी कि मुझे तो पता ही नहीं चला कि कब समय बीत गया। मैंने रचना को कहा मैं अब अपने घर जा रही हूं तो रचना कहने लगी कि तुम थोड़ी देर और रुक जाती लेकिन मैंने रचना को कहा अभी मैं चलती हूं तुमसे बाद में मुलाकात करूंगी और फिर मैं अपने घर लौट आई।
मैं जब अपने घर लौट आई तो थोड़ी ही देर बाद बच्चे भी स्कूल से आने वाले थे और मैं बच्चों को लेने के लिए अपने सोसायटी के मेन गेट तक चली गई और वहां पर मैं इंतजार कर रही थी। थोड़ी देर बाद स्कूल बस मुझे आगे से आती हुई दिखाई दी फिर मैं अपने दोनों बच्चों को अपने साथ घर ले आई।
मैं जब उन्हें घर लेकर आई तो वह मुझे कहने लगे की मम्मी कल हमारे स्कूल में पेरेंट्स मीटिंग है और आप लोगों को स्कूल में आना पड़ेगा। मैंने बच्चों को कहा हां बेटा मुझे पता है कि कल स्कूल में मीटिंग है और मैं अब बच्चों को घर पर ले आई थी हर रोज की तरह दिन कैसे बीत गया कुछ पता ही नहीं चला।
शाम के वक्त मेरे पति भी ऑफिस से लौट चुके थे और जब वह ऑफिस से लौटे तो मैंने उन्हें बताया कि कल पेरेंट्स मीटिंग है तो वह कहने लगे कि ममता तुम ही चले जाना मेरे पास तो कल समय नहीं हो पाएगा। मैंने उन्हें कहा ठीक है कल मैं ही पैरंट्स मीटिंग में चली जाऊंगी। मेरे जीवन में कुछ भी नया नहीं हो रहा था और एक तरफ मेरी सहेली रचना थी जो कि अपने पति के साथ घूमने के लिए जयपुर जा रही थी लेकिन मेरे पति के पास तो बिल्कुल भी समय नहीं था।
मैंने उनसे यह बात कही तो वह कहने लगे कि ममता हम लोग थोड़े समय बाद घूमने का प्लान बनाएंगे लेकिन हम लोगों को काफी समय हो गया था जब हम लोग कहीं साथ में गए नहीं थे। मैंने अपने पति से इस बारे में कहा लेकिन उन्होंने कोई रुचि नहीं दिखाई और अगले दिन मुझे पेरेंट्स मीटिंग में जाना था हर रोज की तरह बच्चे सुबह स्कूल जा चुके थे और अब मुझे भी स्कूल जाना था।
मैं ऑटो से ही स्कूल के लिए गई और जब मैं ऑटो से स्कूल के लिए गई तो उस वक्त बहुत ज्यादा ट्रैफिक था मुझे स्कूल पहुंचने में थोड़ा समय लग गया। जब मैं स्कूल पहुंची तो उस वक्त पेरेंट्स मीटिंग चल रही थी और मैं भी उस मीटिंग में बैठी हुई थी करीब एक घंटे की मीटिंग के बाद अब मैं वहां से स्कूल के गेट तक आई और ऑटो का इंतजार कर रही थी।
मैं काफी देर से स्कूल के गेट पर खड़ी थी लेकिन अभी तक कोई ऑटो नहीं आया था तभी वहां से एक कार गुजर रही थी, उन्होंने मुझे देखा और देखते ही गाड़ी रोक ली। वह कहने लगे मैडम मैं आपको छोड़ देता हूं लेकिन मैंने उन्हें कहा नहीं रहने दीजिए परंतु उन्होंने मुझे अपनी कार में बैठने के लिए कहा तो मैं कार में बैठ गई।
मैंने उनसे उनका नाम पूछा, वह कहने लगे मेरा नाम निखिल है उन्होंने मुझे कहा कि आपके बच्चे भी क्या इसी स्कूल में पढ़ते हैं तो मैंने उन्हें कहा हां मेरे बच्चे भी इसी स्कूल में पढ़ते हैं। मुझे नहीं पता था कि निखिल की पत्नी का देहांत काफी समय पहले ही हो चुका है और निखिल ने जब मुझे यह बात बताई तो मैंने निखिल को कहा आप कभी हमारे घर पर आइए?
निखिल कहने लगे जरूर मैंने निखिल को घर का पता दे दिया था उसके बाद निखिल घर पर एक दो बार आए भी थे लेकिन निखिल और मेरी मुलाकात कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी थी। निखिल मे मैं अपनी खुशियां ढूंढने लगी थी और इसी खुशियों के चलते एक दिन निखिल और मेरे बीच अंतरंग संबंध बन गए। निखिल मेरे घर पर थे और निखिल ने जब मेरे होंठों को चूमा तो मैं भी अपने आपको रोक ना सकी इतने समय बाद किसी पुरुष के साथ उसके होंठों को चूमना मेरे लिए अलग फीलिंग थी।
निखिल ने जिस प्रकार से मेरे कपड़े उतारकर मेरे बदन को महसूस किया उससे मैं अपने आपको रोक ना सकी। निखिल ने अपने लंड को बाहर निकाला और निखिल के लंड को मैं अपने मुंह में लेकर चूसने लगी उसके लंड को अपने मुंह में लेने मै मजा आ रहा था। वह मुझे कहने लगा मुझे आज तुम्हारे साथ बहुत ही मजा आ गया तो मैंने उसे कहा निखिल मैं तुम्हारे लंड को अब अपनी चूत में लेना चाहती हूं।
मैंने अपने दोनों पैरों को खोल लिया निखिल ने मेरी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो उसका लंड जैसे ही मेरी चूत के अंदर प्रवेश हुआ तो मैंने निखिल को कहा तुम थोड़ा और तेजी से धक्के मारो। निखिल ने बड़ी तेजी से मुझे धक्के देने शुरू कर दिए, निखिल का लंड मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था।
जब उसका लंड मेरी चूत के अंदर बाहर होता तो मैं उसे कहती तुम मुझे ऐसे ही चोदता जाओ। वह मुझे बड़े ही अच्छे तरीके से चोद रहा था मैं बहुत ज्यादा खुश थी मै निखिल के साथ सेक्स कर पाई।
काफी देर तक हम दोनों ने ऐसे ही चुदाई का आनंद लिया और उसके बाद जब मैं निखिल के ऊपर से आई तो निखिल का लंड मेरी चूत के अंदर तक जा चुका था। जब उसका लंड अंदर घुसा तो उसे अच्छा लग रहा था मैं अपनी चूतड़ों को ऊपर नीचे कर रही थी।
मैं जब अपनी चूतडो को ऊपर नीचे करती तो निखिल का लंड मेरी चूत के अंदर बाहर होता और निखिल बहुत ही खुश हो रहा था। जिस प्रकार से उसने मेरा साथ दिया उससे मैं इतनी ज्यादा खुश हो गई निखिल मुझे कहने लगा आज तो मुझे बहुत मजा आ गया।
मैंने निखिल को कहा मुझे भी तो बहुत मजा आ रहा है निखिल मेरे स्तनों को अपने मुंह में ले रहा था, वह मेरी गर्मी को बढ़ा रहा था। जिस प्रकार से निखिल मेरी गर्मी को बड़ा रहा था उससे मेरे अंदर की गर्मी अब इतनी अधिक बढ़ चुकी थी कि मैंने निखिल को कहा मुझे लगता है मैं ज्यादा देर तक तुम्हारा साथ ना दे पाऊंगी।
निखिल कहने लगा मुझे भी ऐसा ही लगता है निखिल ने अपने वीर्य को मेरी चूत के अंदर गिरा ही दिया निखिल का वीर्य जब मेरी चूत के अंदर गिरा तो मुझे अच्छा लगा। मैने निखिल को कहा तुमने मेरी चूत के मजे लिए हैं और आगे भी मैं ऐसी उम्मीद करती हूं।
निखिल कहने लगा मैं अब तुमसे मिलने के लिए आता ही रहूंगा निखिल की जरूरतें पूरी हो रही थी और मेरे लिए भी यह सब अच्छा था क्योंकि जो प्यार मुझे मेरे पति से नहीं मिल पा रहा था वह निखिल से मिल रहा था। निखिल और मैं अक्सर एक-दूसरे के साथ समय बिताया करता, हम लोग घूमने के लिए भी एक साथ जाया करते।
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