मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया- Antarvasna
- By : Admin
- Category : Antarvasna Sex Story
मेरा नाम पायल है मेरा खुद का काम है मैं एक कॉस्मेटिक की दुकान चलाती हूं इस दुकान को चलाते हुए मुझे 5 वर्ष हो चुके हैं। मेरा एक बेटा भी है जो कि स्कूल में पढ़ता है मेरी शादी को 7 साल हो चुके है इन 7 सालो में मैंने अपनी जिंदगी में बहुत उतार चढ़ाव देखे है। मैं ज्यादा पढ़ी-लिखी तो नहीं हूं लेकिन फिर भी मैं खुद कुछ करने की हिम्मत रखती हूं।
अगर आज मैं ज्यादा पढ़ी लिखी होती तो कहीं अच्छी जगह जॉब कर रही होती लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था। बचपन में ही मेरे माता-पिता का देहांत हो चुका था और मुझे मेरे चाचा चाची ने पाल पोस कर बड़ा किया। उन्होंने मुझे ज्यादा पढ़ाया लिखाया तो नहीं लेकिन मेरी देखभाल अच्छे से की थोड़े समय बाद उन्होंने मेरी शादी शेखर से करवा दी।
शेखर एक बिजनेसमैन थे उनका बिजनेस बहुत ही अच्छे से चल रहा था यही सब देखते हुए मेरे चाचा चाची ने मेरी शादी शेखर से करवा दी। मैं भी शेखर से शादी करके बहुत खुश थी मुझे भी लगा कि शेखर मेरी हर एक जरूरत को पूरा करेंगे और मेरी देखभाल करेंगे।
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शादी के कुछ समय बाद मेरा एक बेटा हुआ मैं और शेखर बहुत ही खुश थे लेकिन ना जाने हमारी खुशी पर किसकी नजर लगी धीरे धीरे शेखर के बिजनेस में नुकसान होता चला गया और एक दिन ऐसा आया जब हमारे पास कुछ भी नहीं था यहां तक कि हमारे घर बेचने की नौबत तक आ गई थी लेकिन जैसे तैसे हमने अपने घर को बचाया लेकिन घर के सिवा हमारे पास और कुछ भी नहीं था इस बात से शेखर बहुत परेशान हो गए उनकी इस परेशानी का असर सीधे उनके दिमाग पर पड़ने लगा और वह बीमार रहने लगे।
वह इतने बीमार हो गए कि उन्हें खुद की भी खबर नहीं थी उनके बिजनेस के नुकसान की वजह से उनको बहुत गहरा सदमा लगा जिसका असर सीधे उनके दिमाग पर पड़ा वह दिमागी रूप से बीमार होने लगे थे। एक बार तो मैंने अपने चाचा चाची से मदद ली लेकिन मैं कब तक उनसे मदद लेती रहती हमारा तो कोई भी नहीं था किसी ने भी हमारी मदद नहीं की।
जब हमारे पास कुछ नहीं बचा तो मैंने अपने चाचा की मदद से एक कॉस्मेटिक की दुकान खोली उसी दुकान से मैं अपने घर का खर्चा चलाया करती थी और जो पैसे मैंने दुकान खोलने के लिए अपने चाचा से लिए थे मैं वह पैसे भी धीरे-धीरे उन्हें लौटाने लगी थी।
मेरे चाचा चाची भी इतने सक्षम नहीं थे कि वह पैसों से मेरी मदद कर पाते लेकिन उनसे जितना हो सका उन्होंने मेरी मदद की और अब मैं ही अपने घर का खर्चा चला रही थी। शुरुआत में तो मेरी दुकान इतनी अच्छी नहीं चलती थी लेकिन समय के साथ साथ वह ठीक ठाक चलने लगी।
उसके बाद मैंने सोचा की जब दुकान अच्छे से चलने लगी तो क्यों ना मैं शेखर के लिए कोई काम खोलू जिससे कि उनका मन भी काम पर लगा रहे परंतु जब मैं शेखर से बात करने जाती तो शेखर मुझसे बात करने को तैयार नहीं होते वह किसी से भी कोई बात नहीं करते वह गुमसुम से बैठे रहते। मैं उनकी इस हालत से बहुत परेशान थी कई बार मैं सोचती की मैं ऐसा क्या करूं जिससे कि शेखर पहले की तरह हो जाए मैंने शेखर को ठीक करने की कई कोशिशें की परंतु मेरी कोशिशें नाकामयाब रही लेकिन फिर भी मैं शेखर को ठीक करने की पूरी कोशिश कर रही थी।
दिन ऐसे ही बीते जा रहे थे सुबह में अपने बच्चे को तैयार करके स्कूल छोड़ने जाती और उसके बाद घर आकर मैं शेखर को नाश्ता करवा कर अपनी दुकान पर चली जाती। दिन में स्कूल बस से मेरा बेटा घर आया करता था तो मैं उसके लिए खाना बना कर रखती और उसे खाना खिला कर फिर शाम को अपनी दुकान पर चली जाती मेरा हमेशा का यही रूटीन था।
मेरे पास अब पैसे भी काफी जमा हो चुके थे तो मैंने एक दिन बैठकर शेखर से इस बारे में बात की, मैंने शेखर से कहा कि आप अपना बिजनेस दोबारा से शुरू कीजिए लेकिन वह मेरी बात नहीं मान नही रहे थे वह कहने लगे कि पहले ही मेरी वजह से इतना नुकसान हो चुका है अब मैं और नुकसान नहीं झेल सकता। मैंने उनके साथ काफी जिद की की आप कोई काम खोल लीजिए जिससे कि आपका मन भी लगा रहेगा।
पहले वह मेरी बात बिल्कुल नहीं माने लेकिन मेरे काफी कहने पर वह मेरी बात मान गए और वह अपना कोई नया काम शुरू करने के बारे में सोचने लगे। रात को डिनर करने के बाद मैं और शेखर यही सोचने लगे कि ऐसा क्या काम शुरू किया जाए जिससे कि आगे चलकर हमें ज्यादा नुकसान ना हो।
मैंने शेखर से कहा कि आप मन लगाकर अपना कोई भी काम शुरू कर लीजिए इसमें ज्यादा सोचने वाली कोई बात नहीं है लेकिन शेखर को यही डर था कि दोबारा से कहीं कोई नुकसान ना हो जाए। मैंने शेखर को समझाया तो वह कहने लगे कि ठीक है मैं देखता हूं कि मुझे क्या करना है। शेखर अब धीरे-धीरे अपने बिजनेस में हुए नुकसान से उभर रहे थे शेखर मुझे कहने लगे कि यदि तुम मेरे साथ ना होती तो ना जाने क्या होता।
मैंने शेखर से कहा यह तो मेरा फर्ज था यदि मैं आपकी देखभाल नहीं करती तो और कौन करता लेकिन शेखर मुझे कहने लगे कि तुम्हारी ही वजह से मैं कोई दूसरा काम खोलने के बारे में सोच रहा हूं यदि तुम इतनी हिम्मत ना दिखाती तो यह घर भी कैसे चलता, तुमने अपने बलबूते और अपनी मेहनत से इस घर को अच्छे से चलाया है और मुझे भी तुमने बड़े अच्छे से संभाला है।
मैंने शेखर से कहा कि चलो अब यह सब बातें छोड़ो और अपने काम के बारे में सोचो कि आगे क्या करना है। रात भी काफी हो चुकी थी तो हम सोने की तैयारी करने लगे अगले दिन मुझे दुकान पर भी जाना था लेकिन शेखर को मेरी चूत मारनी थी और मै शेखर के लंड को चूत मे लेने के लिए तैयार थी।
मैंने लाइट को बुझा दी शेखर मेरे बदन को महसूस करने लगे शेखर मेरे स्तनों के साथ खेलने लगे। वह मेरे स्तनों को बड़े अच्छे से दबाने लगे मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आने लगा था। जब वह मेरे स्तनों को अपने हाथों से दबाते तो मै उत्तेजित हो जाती। कहीं ना कहीं वह भी उत्तेजीत हो गए थे, उन्होने मुझसे कहा अपने कपड़े उतार दो।
मैने अपने कपडे उतार दिए वह मेरे बदन को सहलाने लगे। मैंने उन्हे कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नही जा रहा है शेखर ने अब मेरे स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया वह मेरे निप्पलो को मैं जिस तरह चूस रहे थे उससे मुझे बहुत ही मजा आ रहा था और वह भी उत्तेजित होने लगे थे। मैंने अपने पैरों को खोला और शेखर को कहा मेरी चूत चाटो, शेखर ने मेरी चूत को चाटना शुरू किया मुझे मजा आने लगा।
वह मेरी चूत को चाटकर मेरे अंदर की गर्मी बढ़ने लगे वह तब तक मेरी चूत को चाटते रहे जब तक मेरी चूत से पानी नहीं निकल गया था। उन्होने मेरे मुंह के सामने अपने लंड को किया तो मैने उनके 9 इंच मोटे लंड को मुंह मे ले लिया अब मैने उनके लंड को अपने मुंह में लेकर अच्छे से चूसना शुरू कर दिया।
जब मै उनके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसती तो मुझे बड़ा ही मजा आता और उनको भी आनंद आने लगा था। वह अब उत्तेजित होने लगे थे मैने उनके लंड से जूस बाहर निकाल दिया था मैने उनकी गर्मी पूरी तरीके से बढ़ा दी थी। मैं अब एक पल भी नहीं रह पा रही थी मैंने उन्हे कहा आप मेरी चूत के अंदर अपने लंड को डाल दो मै पैर खोले लेटी थी मरी चूत उनके सामने थी।
उन्होने मेरी चूत को उंगली से सहलाया जब उन्होने मेरी चूत मे अपनी उंगली को डाला तो मै उछल पडी शेखर ने अपनी उंगली से मेरी चूत को गर्म किया। जब मेरी चूत गर्म हो चुकी थी तो शेखर ने अपने लंड को मेरी गरम चूत पर लगा दिया और अंदर की तरफ अपने लंड को धकेलेना शुरू किया।
जब शेखर का लंड मेरी चूत को फाडता हुआ मेरी चूत के अंदर की तरफ जाने लगा तो मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा। वह मुझे कहने लगे आज तो मजा आ गया, मेरी चूत से पानी बाहर निकल रहा था।
मेरे अंदर की गर्मी अब इतनी ज्यादा बढ़ने लगी थी कि मुझे मजा आने लगा था। मैंने अपने दोनों पैरों को खोल लिया जब मैंने ऐसा किया तो मुझे बहुत मजा आ रहा था। वह मेरी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को बड़ी आसानी से कर रहे थे वह अब तेजी से मेरी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करने लगे। मुझे मजा आने लगा मैने उन्हे कहा आप मेरी चूत का भोसडा बना दो। मेरे अंदर की गर्मी बढती जा रही थी मैंने शेखर से कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है तुम ऐसे ही मेरी चूत मारते रहो। वह बोले तुम मेरा साथ देती रहो मै उनका साथ बड़े अच्छे से दे रही थी।
वह मेरे बदन को पूरी तरीके से गर्म कर चुके थे मेरी चूत से पानी बाहर चुका था मै झड गई थी। शेखर मुझे चोदते ही जा रहे थे जब उनका माल गिरा तो मुझे मजा आ गया। वह मेरी चूत का मजा अब दोबारा लेना चाहते थे मै लेटी हुई थी। उन्होने मुझे पेट के बल लेटा दिया वह मेरी चूतडो को सहलाने लगे कुछ देर तक शेखर ने अपने हाथ से मेरी चूतडो को सहलाया तो मुझे बहुत ही मजा आया।
शेखर ने मेरी गरम चूत पर अपने लंड को सटाया जब उन्होने मेरी चूत पर अपने लंड को सटाया तो मेरी चूत से पानी बाहर निकलने लगा। वह मेरी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करने लगे थे मुझे अच्छा लग रहा था। उनका लंड मेरी चूत को छिल रहा था, शेखर के लंड का मजा लेकर मैं गर्म हो चुकी थी।
उनके धक्को मे तेजी आ गई थी मै उनके लंड से अपनी चूतड़ों को मिलाने की कोशिश करती तो मुझे मजा आता। उनका लंड मेरी चूत के जड तक जा रहा था तो मुझे मजा आता। मेरी उत्तेजना बहुत बढ गई थी उनका माल मेरी चूत के अंदर गिराने वाला था जब शेखर ने मेरी चूत मे अपने माल को गिराया तो मेरी इच्छा पूरी हो गई और हम दोनो सो गए।
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