शादी के बाद चुदाई का मजा- Antarvasna Sex Story
- By : Admin
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मेरी जॉब को लगे हुए सिर्फ 15 दिन ही हुए थे और इन 15 दिनों में ऑफिस में मेरी काफी अच्छी बातचीत हो गई थी। एक दिन मैं अपने ऑफिस से घर लौट रहा था तो उस दिन मेरी मां का मुझे फोन आया और वह कहने लगी कि राजवीर बेटा जब तुम घर आओगे तो आते हुए मेरे लिए सर दर्द की दवाई ले आना।
मैंने मां से कहा मां आपकी तबीयत तो ठीक है ना तो माँ कहने लगी बस बेटा सर में काफी तेज दर्द हो रहा था तो सोचा कि तुम्हें फोन कर के दवाई मंगवा लूं। मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं बस आधे घंटे में घर पहुंच जाऊंगा और मैं आधे घंटे बाद जब घर पहुंचा तो मैंने मां को दवाई दी और मां को दवाई देने के बाद मैंने उन्हें कहा कि मां आप आराम कर लीजिए।
मैंने मां को कहा कि मैं आज बाहर से ही खाना मंगवा लेता हूं मां कहने लगी कि नहीं बेटा मैं खाना बना दूंगी लेकिन मैंने उस दिन बाहर से ही खाना ऑर्डर करवा दिया था। घर पर मां और मैं ही थे पापा का ट्रांसफर कुछ समय पहले ही बेंगलुरु में हो चुका है इसलिए पापा बेंगलुरु में रहते हैं और वह पिछले महीने ही घर आए थे।
मैंने बाहर से खाना ऑर्डर करवा लिया था मां की तबीयत ज्यादा खराब थी इसलिए मैंने अकेले ही खाना खाया और उसके बाद मैं अपने कमरे में लेट गया। मैं अपने रूम में लेटा हुआ था तो मेरे दोस्त का मुझे फोन आया और उस दिन मेरे दोस्त से मेरी काफी देर तक फोन पर बात हुई।
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थोड़ी देर बाद मैंने फोन रख दिया था और अगले दिन मुझे ऑफिस के लिए जल्दी जाना था तो मैं ऑफिस के लिए जल्दी निकल चुका था। मैं जब ऑफिस पहुंचा तो उस दिन मैंने देखा कि हमारे ऑफिस में एक नई लड़की आई हुई है। मैं उसे देख रहा था कि तभी उसने मुझसे हाथ मिलाया और कहा कि मेरा नाम संजना है, संजना के इस अंदाज से मैं काफी प्रभावित हुआ।
मैंने भी उससे हाथ मिलाकर कहा मेरा नाम राजवीर है वह मुझे कहने लगी कि राजवीर इससे पहले भी मैंने तुम्हें कहीं देखा है। जब उसने मुझे कहा कि हम लोग इससे पहले भी एक बार मिले थे तो मैंने संजना से कहा कि शायद हम लोग मेरे दोस्त की पार्टी में मिले थे। संजना कहने लगी हां हम लोग तुम्हारे दोस्त की पार्टी में मिले थे और उस पार्टी में मैं अपनी सहेली के साथ आई हुई थी।
संजना और मेरी काफी बनने लगी थी और हम दोनों के बीच काफी अच्छी बातचीत भी हो गई थी हम दोनों साथ में ही घर आया करते और ज्यादातर मैं ही संजना को उसके घर पर छोड़ा करता। एक दिन मैं संजना को अपनी मोटरसाइकिल में उसके घर छोड़ने गया जब मैं उसे छोड़ कर वापस लौट रहा था तो थोड़ी दूरी पर ही मेरा एक्सीडेंट हो गया।
जब मेरा एक्सीडेंट हुआ तो मुझे काफी ज्यादा चोट आई जिस वजह से मुझे अस्पताल में एडमिट होना पड़ा और जब यह बात संजना को पता चली तो संजना उस दिन हॉस्पिटल में मुझसे मिलने के लिए आई। वह मुझसे मिलने के लिए हॉस्पिटल में आई तो संजना उस वक्त मेरे साथ ही बैठी हुई थी और मुझसे बात कर रही थी तभी पापा और मम्मी भी आ गए।
मैंने उन लोगों को संजना से मिलवाया, वह लोग संजना से मिले तो उन्हें संजना काफी पसंद आई संजना के हॉस्पिटल से चले जाने के बाद मां ने मुझे कहा बेटा संजना बहुत ही अच्छी लड़की है। मैं मां के कहने का मतलब समझ चुका था मैंने मां से कहा मां संजना और मैं अच्छे दोस्त है मैंने इससे आगे कभी भी संजना के बारे में कुछ नहीं सोचा। मां कहने लगी कि बेटा फिर भी तुम एक बार इस बारे में सोच कर जरूर देखना मैंने मां से कहा ठीक है।
जब मैं ठीक होने लगा था मैंने अब ऑफिस ज्वाइन कर लिया था। जब मैंने ऑफिस ज्वाइन कर लिया था तो संजना भी खुश थी। जब संजना और मैं एक दूसरे से मिलते तो हम दोनों को ही बहुत अच्छा लगता। एक दिन मैं और संजना साथ में बैठे हुए थे उस दिन हम लोग हमारे ऑफिस की कैंटीन में साथ में बैठे हुए थे तो संजना से मैंने कहा कि तुम मुझे अच्छी लगने लगी हो। संजना मुझे कहने लगी कि लेकिन राजवीर मैंने कभी भी तुम्हारे बारे में ऐसा नहीं सोचा, मैंने संजना को कहा कि मुझे भी पहले ऐसा ही लगता था लेकिन अब मुझे लगने लगा है कि मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूं।
संजना भी अब इस बात को समझ चुकी थी और उसने मुझे कहा कि मुझे मालूम है कि तुम मुझे प्यार करते हो। अब हम दोनों के बीच प्यार पनपने लगा था और हम दोनों का प्यार बहुत बढ़ने लगा था जिस वजह से मैं और संजना एक दूसरे के साथ समय बिताते। हम दोनों एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश किया करते ताकि हम एक दूसरे को जान सके।
कभी कबार हम दोनों के बीच किसी बात को लेकर अनबन हो जाया करती थी लेकिन फिर कुछ समय बाद हम लोगों के बीच सब कुछ ठीक हो जाता था। यह बात मेरे पापा मम्मी को भी पता चल चुकी थी कि मेरे और संजना के बीच में अफेयर चलने लगा है इस बात से उन लोगों ने मुझे कहा कि तुम लोगों को शादी कर लेनी चाहिए। संजना का भी मेरे घर पर अक्सर आना-जाना रहता था इसलिए संजना और मैं अब एक दूसरे से शादी करना चाहते थे।
इस बात से अब किसी को भी कोई एतराज नहीं था ना ही मेरे परिवार वालों को और ना ही संजना को इसलिए हम दोनों ने जल्दी शादी करने का फैसला किया उसके बाद हम दोनों की शादी हो गई। जब हम दोनों की शादी हो गई तो मैं और संजना एक दूसरे के साथ काफी खुश थे हम दोनों एक दूसरे के साथ अच्छे से रह रहे थे। हमारी शादी को अभी एक महीना ही हुआ था लेकिन हम दोनों को समय नहीं मिल पाया था इसलिए हम लोग घूमने के लिए शिमला चले गए।
हम दोनों शिमला चले गए वहा पर बहुत ठण्ड थी मौसम बहुत ही सुहना था| संजना और मैं एक रूम मैं थे और हम दोनों पुरे रोमांटिक मूड में थे। संजना दिखने में बड़ी सुंदर है उसका गोरा बदन मुझे अपनी और खींच रहा था। मैं संजना के बदन को महसूस करने लगा संजना के स्तनों पर मेरा हाथ गया तो मैं उसके स्तनों को बड़े अच्छे से दबाने लगा मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आने लगा था। जब मैं उसके स्तनों को अपने हाथों से दबाकर उत्तेजित करने की कोशिश करता।
कहीं ना कहीं वह उत्तेजीत हो गई थी मैंने संजना के कपड़े उतारने शुरू कर दिए। मैं उसके बदन को सहलाने लगा संजना कहने लगी मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा हूं। मैंने अब संजना के स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया उसके निप्पलो को मैं जिस तरह से चूस रहा था उससे मुझे बहुत ही मजा आ रहा था और वह पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी थी। मैंने संजना के पैरों को खोला मैंने संजना की चूत को चाटना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा।
उसकी चूत को चाटकर मेरे अंदर की गर्मी बढ़ने लगी थी। मैंने अब अपने कपड़े उतार दिए और संजना के मुंह के सामने अपने लंड को तो उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर उसे चूसने लगी। जब संजना मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसती तो मुझे बड़ा ही मजा आ जाता। उसे बहुत आनंद आने लगा था। वह उत्तेजित हो रही थी मैंने उसके अंदर की आग को बढ़ा दिया था। वह मेरी आग को इतना ज्यादा बढ़ा दिया था कि मैं अब एक पल भी रहना मुश्किल हो गया था।
संजना पैर खोल कर लेटी थी उसकी चूत मेरे सामने थी। मैंने संजना की चूत पर अपनी उंगली को लगा कर उसकी गर्मी को बढ़ा दिया था। वह गरम हो चुकी थी मैंने अपने लंड को संजना की चूत पर लगा दिया और अंदर की तरफ अपने लंड को डालना शुरू किया जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत के अंदर की तरफ जाने लगा तो मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा। वह कहने लगी मेरे अंदर की आग बढ़ती जा रही है।
मेरे अंदर की गर्मी अब बढ़ने लगी थी मुझे मजा आने लगा था मैंने संजना के दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया। जब मैंने ऐसा किया तो मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैं संजना की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को कर रहा था मैंने काफी देर तक उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को किया मुझे मजा आने लगा।
संजना मुझे कहने लगी मेरे अंदर कि गर्मी बढती जा रही है। मैंने संजना को कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है तुम ऐसे ही मेरा साथ देती जाओ। वह मेरा साथ बड़े अच्छे से दे रही थी और वह सिसकिया ले रही थी। उसने मेरे बदन को पूरी तरीके से गर्म कर दिया था मेरा माल जल्दी ही बाहर आ गया। जब मेरा माल गिर गया तो मैंने अपने लंड को संजना की चूत से बहार निकला। संजना की चूत अभी भी गरम थी वह मुझसे और भी चुदना कहते थी।
मैंने संजना को उल्टा लेटा दिया। जब मैंने उसकी चूत मैं लंड को डाला तो वह मजे में आ गयी। मैंने संजना की चूत के अन्दर बहार लंड को तेजी से किया मुझे मजा आ रहा था। उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करन ऐसा लग था जैसे बस मैं लंड को अन्दर बहार करता रहू। मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और मै संजना को भी मजा आ रहा था।
संजना की चूत का मजा लेकर मैंने उसको पूरी तरीके से गर्म कर दिया था। मैंने उसको संजना को बहुत देर तक चोदा वह पूरी तरीके से संतुष्ट हो गई। संजना मुझसे अपनी चूतड़ों को मिलाने की कोशिश करती तो उसकी चूतड़ों से मेरा लंड टकराता और उसकी गांड लाल हो जाती। मैं संजना को बढ़ी तेजी से चोद रहा था। मैंने संजना के हर एक अंग को हिला कर रख दिया था। संजना को भी मजा आया और मुझे भी बहुत मजा आया। हमारा शिमला का टूर बड़ा ही मजेदार था।
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