सहेली ने अपने फ्रेंड से मेरी चूत का टांका भिड़ाया
- By : Admin
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मैंने पापा को चाय का प्याला देते हुए कहा पापा मुझे आपसे कुछ बात करनी थी पापा कहने लगे हां अवंतिका बेटा कहो क्या कहना है। मैंने पापा से कहा पापा हमारे कॉलेज का टूर घूमने के लिए जा रहा है तो मुझे कुछ पैसे चाहिए थे पापा कहने लगे लेकिन तुम लोग कहां घूमने के लिए जा रहे हो।
मैंने पापा से कहा हम लोग मसूरी घूमने के लिए जा रहे हैं और कुछ दिनों तक हम लोग वहां पर भी रुकने वाले हैं। पापा कहने लगे ठीक है तुम्हें कितने पैसों की आवश्यकता है मैंने पापा से कहा पापा यह तो आप देख लीजिए लेकिन हम लोग वहां पर करीब 10 दिनों तक रुकने वाले हैं।
मैंने जब यह बात पापा से कहीं तो पापा कहने लगे लेकिन बेटा 10 दिनों तक भला कौन से कॉलेज का टूर जाता है तुम ही मुझे बताओ।
मैंने पापा से कहा पापा हम लोगों का टूर कुछ प्रोजेक्ट को लेकर भी जा रहा है और हम सब लोगों ने सोचा कि इस बहाने कम से कम हम लोग घूम भी लेंगे।
जब मैने यह बात पापा से कहीं तो उस वक्त मेरी छोटी बहन निधि भी मेरे सामने ही खड़ी थी निधि ने अभी कॉलेज में दाखिला ही लिया है वह मुझसे दो वर्ष छोटी है लेकिन निधि के सवालों का जवाब दे पाना बहुत ही मुश्किल होता है। वह मुझे कहने लगी दीदी क्या तुम पक्का घूमने के लिए जा रही हो मैंने निधि से कहा हां हम लोगों का टूर जा रहा हैं निधि ने पापा के दिमाग में शक पैदा करवा दिया।
पापा ने मुझे पैसे तो दे दिए थे लेकिन पापा के दिमाग में कुछ चल रहा था मेरे कॉलेज के कुछ दोस्तों से पापा ने इस टूर के बारे में पूछ लिया उन्होंने भी वही कहा जो मैंने पापा से कहा था।
पापा मुझे पैसे दे चुके थे और हम लोग घूमने की तैयारी में थे हम लोग घूमने के लिए मसूरी के लिए निकल चुके थे दिल्ली से मसूरी की दूरी 6 घंटे की है और हमारे कॉलेज की तरफ से बस का बंदोबस्त किया हुआ था।
हमारी ओर से हमारी 3 बस थी हम लोग जब मसूरी पहुंचे तो हमारे टीचरों ने कहा कि कोई भी हमारी इजाजत के बिना कहीं बाहर नहीं जाएंगे।
हमारे प्रोफेसरों के ऊपर हम लोगों की जिम्मेदारी थी इसीलिए वह लोग हमें कह रहे थे कि हम में से कोई भी बिना पूछे बाहर नहीं जाएगा और अब हम लोग अपने रूम में ही बैठे हुए थे और आपस में सब लोग एक दूसरे से बात कर रहे थे।
सब लोग रूम में ही बैठे हुए थे और हमारे साथ में पढ़ने वाले लड़के पास के ही एक होटल में रुके हुए थे। अगले दिन सब लोग मसूरी घूमने के लिए निकल पड़े मैं मसूरी पहली बार ही गई थी और मैं अपनी सहेली नमिता से कहने लगी कि नमिता यहां पर कितना अच्छा है और सब कुछ कितना बढ़िया है।
नमिता मुझे कहने लगी मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है नमिता भी पहली बार ही मसूरी आई थी और मैं भी पहली बार मसूरी गई थी इसलिए मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और नमिता को भी अच्छा लग रहा था।
हम दोनों एक साथ ही थे उस दिन हम लोगों का मसूरी घूमना बहुत ही अच्छा रहा जब शाम के वक्त हम लोग होटल में लौट आए तो नमिता मुझे कहने लगी कि अवंतिका मैं तुमसे एक बात कहना चाहती हूं।
मैंने नमिता से कहा हां नमिता कहो ना तुम्हें क्या कहना है तो नमिता ने उस दिन मुझे बताया कि उसका प्रेम प्रसंग एक लड़के से चल रहा है मैंने नमिता से कहा लेकिन तुमने मुझे इस बारे में तो बताया ही नहीं था।
नमिता कहने लगी कि मुझे लगा था कि तुम्हें शायद इस बारे में बताना ठीक नहीं रहेगा पहले हम दोनों ने ही एक दूसरे से अपनी दिल की बात नहीं कही थी लेकिन कुछ दिनों पहले ही हम दोनों ने एक दूसरे से अपने प्यार का इजहार कर दिया।
मैंने नमिता से कहा अच्छा तो तुमने भी अपने लिए लड़का पसंद कर लिया है। नमिता मुझे कहने लगी हां मैंने भी अपने लिए लड़का पसंद कर लिया है और भला मैं करती भी क्यों नहीं मैं आनंद से प्यार जो करती थी आनंद और मैं एक दूसरे को काफी समय से जानते हैं लेकिन हम दोनों ने कभी भी एक दूसरे से अपने दिल की बात नहीं कही थी परंतु जब मैंने और आनंद ने एक दूसरे से पहली बार अपने दिल की बात कही तो हम दोनों ने एक दूसरे को स्वीकार कर लिया। मैंने नमिता से कहा तुम मुझे आनंद की फोटो तो दिखाओ तो नमिता कहने लगी रहने दो मैंने नमिता से कहा लेकिन क्यों रहने दो।
नमिता कहने लगी मुझे यह सब अच्छा नहीं लग रहा है मैंने नमिता से कहा तुम्हें क्यों अच्छा नहीं लग रहा है तुम आनंद से इतना प्यार जो करती हो। नमिता कहने लगी ठीक है बाबा अभी दिखाती हूं नमिता ने मुझे आनंद की फोटो दिखाई तो मैंने नमिता से कहा आनंद तो बहुत अच्छा है तुम आनंद से मुझे कब मिला रही हो।
नमिता कहने लगी तुम्हें जल्द ही मैं आनंद से मिलाऊंगी जब हम लोग मसूरी से घर लौट जाएंगे तब मैं तुम्हें आनंद से मिलाऊंगी। नमिता और मैं साथ में ही थे और उसके बाद जब मैंने नमिता को कहा कि मुझे नींद आ रही है तो नमिता कहने लगी ठीक है बाबा तुम सो जाओ।
मैं सो गई सुबह जब मेरी आंख खुली तो सब लोग उठ चुके थे और मैं भी बाथरूम में तैयार होने के लिए चली गई लंबी कतार में मुझे भी खड़ा होना पड़ा। मसूरी का टूर हम लोगों का बहुत ही शानदार रहा और उसके बाद हम लोग वापस दिल्ली लौट आए। जब हम लोग दिल्ली वापस लौटे तो पापा और मम्मी ने मुझसे पूछा बेटा तुम्हारा मसूरी का टूर कैसा रहा मैंने उन्हें कहा मम्मी बहुत ही अच्छा रहा।
कुछ समय बाद नमिता ने मुझे आनंद से भी मिलवाया। मैं जब आनंद से मिली तो आनंद की बातों में कुछ तो जादू था मैंने नमिता से कहा तुम्हारी पसंद बहुत ही अच्छी है।
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आनंद मुझे कहने लगा अच्छा तो आपको लगता है कि नमिता की पसंद अच्छी है। मैंने आनंद से कहा क्यों नहीं आप बहुत ही अच्छे हैं आनंद की तारीफो के मैंने पुल बांध दिए थे और हमारी मुलाकात बहुत अच्छी रही। नमिता मुझे जब भी मिलती तो कहती आनंद तुम्हारी बड़ी तारीफ किया करता है।
नमिता और आनंद ने सोच लिया की वह मेरा भी टांका किसी ना किसी से भीडवा कर ही रहेंगे। उन दोनो ने भी ऐसा ही किया मेरा टांका आनंद के दोस्त विवेक से आनंद ने भीडवा दिया।
जब विवेक के साथ मेरा टांका भीडा तो मुझे विवेक से बात करना अच्छा लगता और मेरी छोटी बहन निधि को भी इस बारे में पता चल चुका था। मुझे तो इस बात का डर था कि कहीं निधि पापा मम्मी को कुछ बता ना दे इसलिए मैं निधि से चोरी छुपे मिलती।
मै विवेक से बात किया करती थी लेकिन निधि फिर भी मुझे फोन पर विवेक से बात करते हुए देखे लेती थी और मुझे इसलिए निधि को खुश रखना पड़ता था। मैंने एक दिन विवेक से कहा मुझे तुमसे मिलना है तो विवेक कहने लगा लेकिन हम लोग आज कहां मिलेंगे मेरे पास तो आज टाइम नहीं है।
विवेक और मेरी कम ही मुलाकात हो पाती थी अब हम दोनों एक दूसरे के नजदीक तो आ चुके थे लेकिन हमारे पास मिलने का समय नहीं हो पाता था क्योंकि विवेक बहुत ज्यादा बिजी रहते थे इसलिए विवेक के पास बिल्कुल भी टाइम नहीं होता था परंतु मेरे पास तो समय होता था।
एक दिन मैंने विवेक से कहा मुझे तुमसे मिलना ही है तो विवेक मुझसे मिलने के लिए तैयार हो गए हम दोनों की मुलाकात हुई तो वह बड़ी अच्छी रही। पहली बार मैंने विवेक के साथ लिप किस किया विवेक के साथ लिप किस करना बहुत ही अच्छा रहा उसके बाद यह सिलसिला चलता रहा।
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अब बात इससे आगे भी बढ चुकी थी हम दोनों एक दूसरे के बदन को महसूस करने लगे थे। विवेक मेरे स्तनों को दबा दिया करते तो मुझे भी अंदर से एक अच्छी भावना आती और मैं खुश हो जाया करती। मुझे इस बात की खुशी थी कि विवेक मेरा बहुत ध्यान रखते हैं और वह मुझे बहुत प्यार भी करते हैं छोटी-छोटी बातों को लेकर विवेक मुझे बहुत समझाया करते थे।
अब वह समय नजदीक आ गया जिस दिन पहली बार हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने हम दोनों के बीच पहला शारीरिक संबंध कुछ ही समय पहले बना था।
उस दिन मेरी तबीयत भी खराब हो गई थी विवेक ने मेरे होठों को चूमना शुरू किया तो मेरे अंदर से गर्मी बाहर निकलने लगी थी और मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी।
विवेक ने मुझे कहा कि तुम घबरा क्यों रही हो और यह कहते हुए विवेक ने मेरे स्तनों को दबाना शुरू कर दिया। विवेक मेरे स्तनों को दबाए जा रहे थे और जिस प्रकार से वह मेरे स्तनों को दबाते उससे मैं उत्तेजित होने लगी थी। “Meri Chut Ka Taka”
विवेक ने जब मेरे स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसा तो मुझे बड़ा ही अच्छा लगा काफी देर तक विवेक ने मेरे स्तनों का रसपान किया पहली बार विवेक ने मेरे स्तनों का रसपान किया था और विवेक के ऐसा करने से मेरी योनि में भी अब एक करंट सा पैदा होने लगा था।
विवेक ने अपने लंड को मेरी योनि पर सटाया तो मैं मचलने लगी और विवेक ने धीरे से अपने मोटे लंड को मेरी योनि में घुसा दिया। विवेक का मोटा लंड मेरी योनि में जा चुका था उसी के साथ विवेक ने अपनी गति को बढ़ा दिया और जिस प्रकार से विवेक मेरे चूत का मजा ले रहे थे उससे मै पूरी तरीके से मचल रही थी और मुझे बडा आनंद आ रहा था काफी देर तक विवेक ने मेरी चूत के मजे लिए।
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मुझे विवेक ने दिन में ही तारे दिखा दिए लेकिन जब विवेक ने मुझे अपने ऊपर से आने के लिए कहा तो मैंने भी विवेक की इच्छा को पूरा कर दिया और विवेक के साथ में ने जमकर सेक्स का आंनद लिया।
हम दोनों के बीच में जमकर सेक्स हुआ मुझे और विवेक को बहुत ही मजा आया। हम दोनों ही बड़े खुश थे जब विवेक ने अपने वीर्य को मेरी योनि में गिराया तो विवेक ने तुरंत ही अपने लंड को बाहर निकाल लिया और मुझे कहा कि तुमने आज मुझे खुश कर के रख दिया है।
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